पालिटिक्‍स पर सटायर का दौर आज से नहीं बल्कि काफी समय से चला आ रहा है. यह ऐसा विषय है जिस पर सटायर करने के कई कारण बन सकते हैं. चंद्रप्रकाश द्विवेदी की 'जेड प्‍लस' भी इसी कड़ी का एक हिस्‍सा है. हालांकि इस मूवी में चंद्रप्रकाश द्विवेदी एक सवाल छोड़ जाते हैं यदि एक चायवाला पीएम बन सकता है तो टायर पंचरवाला क्‍यों नहीं? तो आइये जानते हैं क्‍या कहती है 'जेड प्‍लस' की कहानी...


क्‍या कहता है पंचरवालाजेड प्‍लस के डायरेक्‍टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी में हम एक सटायर की उम्‍मीद कर सकते हैं, और हमारी इस उम्‍मीद को उन्‍होंने बखूबी सपोर्ट दिया. जेड प्‍लस की पूरी कहानी एक पंचरवाले के इर्द-गिर्द ही घूमती है. राजस्‍थान के गांव में रहने वाला असलम अपने पड़ोसी से बहुत दुखी रहता है. हालांकि यह पड़ोसी (मुकेश तिवारी) एक जमाने में असलम का बहुत अच्‍छा दोस्‍त हुआ करता था. फिलहाल इस मूवी को देखकर आपको लगेगा कि यह असलम और पड़ोसी की लड़ाई भारत-पाकिस्‍तान की लड़ाई से कम नहीं है. इसके बाद जब मूवी में पीएम बने (कुलभूषण खरबंदा) की इंट्री होती है, तो असलम की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है. पीएम के सामने अपनी परेशानी रखकर असलम को अंदाजा लग जाता है, कि पीएम भी कभी-कभी गलती कर जाते हैं. Zed PlusU/A: Political satireDIR: Chandraprakash Dwivedi
CAST: Adil Hussain, Mona Singh, Mukesh Tiwari


 एक्टिंग का घटता-बढ़ता ग्रॉफ

अब अगर हम जेड प्‍लस के सभी किरदारों की एक्टिंग की बात करें तो असलम पंचरवाले का रोल प्‍ले करने वाले असलम ने एक बार फिर दिखा दिया कि आम इंसान कुछ भी कर सकता है. आदिल ने अपनी एक्टिंग और डॉयलाग डिलीवरी से दर्शकों को बांधने की पूरी कोशिश की. हालांकि उनकी यह कोशिश काफी हद तक कामयाब हुई. वहीं दूसरी ओर पीएम बने कुलभूषण खरबंदा अपने रोल के साथ मेल नहीं रख पाये. फिल्‍म का पीएम नरेंद्र मोदी की कॉपी तो लगता है, लेकिन वह सही से हिंदी नहीं बोल पाता है. इसके अलावा अन्‍य कलाकारों ने अपनी-अपनी जगह ठीक काम किया है. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने इस फिल्‍म में दर्शकों के लिये इमिजेनेशन की कोई गुंजाइश नहीं रखी. फिल्‍म के प्रत्‍येक सींस को आप परफेक्‍ट मान सकते हैं. जेड प्‍लस का मेलोड्रामासाल 2010 में हमने पॉ‍लिटिक्‍स सटॉयर पर बेस्‍ड कई मूवी देखीं जैसे, तेरे बिन लादेन, फंस गया रे, पीपली लाइव और रिसेंटली इक्‍कीस तोपों की सलामी. लेकिन चंद्रप्रकाश द्विवेदी की जेड प्‍लस बॉलीवुड को इंजेक्‍ट करती है, इसमें आपको सॉंग, डांस और मेलोड्रामा को कांबिनेशन मिलेगा. हालांकि द्विवेदी ने अपनी इस मूवी में लॉफ्टर का तड़का तो लगाया लेकिन कुड सींस की डिटेलिंग में वह काफी पीछे रह गये. फिल्‍म के कुछ सींस में आप कहानी को ढ़ूंढते नजर आयेंगे. फिलहाल ओवरऑल देखा जाये तो यह मूवी काफी इंटरटेनिंग है. इसे आप एकबार जरूर देख सकते हैं. Courtesy : मिड डे

 

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari