Movie review: Satyagraha 4/5 star
द्वारका आनंद (अमिताभ बच्चन) एक प्रिसिपल है जिसका लाइफ में वैल्यूज पर एक जिद्द की हद तक बिलीफ है और उसे कांप्रोमाइज करने की आदत नहीं है. वो सोसाइटी को वो सब लौटाना चाहता है जो उसने उससे पाया है और उसका यही आग्रह उसे अनगिनत लोगों की आंखो की किरकिरी बना देते हैं क्योंकि इस कोशिश में आम आदमी द्वारका आनंद के साथ है. अपने इस प्रयास में उन्हें अपने बेटे को खोना पड़ता है और बहू (अमृता राव) का सहारा बनने के साथ उसे हिम्मत से खड़ा होना सिखाना पड़ता है.
दूसरी तरफ है मानव राघवन (अजय देवगन) जो शाइनिंग इंडिया का सच्चा एग्जांपल है और टेलिकॉम बिजनेस का बादशाह है. जो उसे चाहिए वो हासिल करना उसकी जिद्द है. मतलब कहीं वो द्वारका आनंद जैसा ही है पर कुछ अलग अंदाज में और सच का काला चेहरा उसे मजबूर करके उसी जगह ले आता है जहां द्वारका आनंद खड़े हैं और वो दोनों मिल अन्याय की इस जंग में आगे बढ़ने का डिसीजन लेते हैं. अजुर्न (अजुर्न रामपाल) की जिंदगी का मतलब ही पॉलिटिक्स है और वो उसी स्कूल में पढ़ा है जिसमें द्वारका आनंद प्रिसिपल थे. लेकिन राजनीति उसके लिए मिशन है बिजनेस नहीं यही फर्क उसे बलराम सिंह (मनोज बाजपेयी) से अलग पहचान देता है जो स्वार्थ की राजनीति का परफेक्ट एग्जांपल है. बलराम के खिलाफ इस लड़ाई में मानव के के कारण जुड़ जाती है जनर्लिस्ट यास्मीन अहमद (करीना कपूर) और सत्याग्रह शुरू हो जाता है.
फिल्म में कड़वी सच्चाईयां है लंबी लड़ाई है लेकिन उनको कहीं ना तो भटकने दिया गया है और नाही कहीं कोई कन्फ्यूजन है कि इसका अंजाम क्या होगा. फिल्म की सबसे बड़ी खूबसूरती उसकी पॉजिटीविटी है. प्रकाश झा का फोर्टे बन चुके सोशल इश्यूज और पॉलिटिकल सिचुएशंस का उन्होंने सही मेजरमेंट के साथ कांबिनेशन बनाया है. करेक्टर और सब्जेक्टस पूरी तरह ब्लेंड हो गए हैं और गहरा इंपेक्ट छोड़ते हैं. प्रकाश की पकड़ उन्हें बेजोड़ डायरेक्टर बना चुकी है.
म्यूजिक फिल्म की हाई लाइट है, रघुपति राघव सांग पहले ही बच क्रिएट कर चुका है बाकी गाने यहां तक कि आइटम सांग भी फिल्म के फ्लो को बनाने में हेल्प करता है. अजय, करीना और अजुर्न तीनों ही अपने रोल को जस्टीफाई कर चुके हैं. छै में से चार लीड एक्टर प्रकाश झा की फिल्मों के परमानेंट मेंबर बन चुके हैं. अमिताभ अपने फुल फ्लो में हैं, अजय अंडरटोन एक्सप्रेशंस देने में माहिर हो चुके हैं, अजुर्न का माचो लुक इस फिल्म में उनकी यू एस पी बन गया है और ग्रे से ब्लैक करेक्टर तक की जर्नी मनोज बाजपेयी ने इतनी खूबी से पूरी की है कि उनसे प्यार हो जाता है.
Director: Prakash Jha