निर्देशक आकाशदीप सबीर की इस फिल्‍म के बारे में क्‍या कहा जाये क्‍योंकि फिल्‍म को 112 मिनट झेलने के बाद भी समझना मुश्‍किल है कि इस तरह की फिल्‍में बनती क्‍यों हैं।

डिस्‍क्‍लेमर के साथ शुरू होती है फिल्‍म
फिलम की शुरूआत में ही एक बोझल डिस्‍क्‍लेमर है जो फिल्‍म के मुख्‍य पात्रों के बारे में जानकारी देता है। जबकि ऐसा लगता है कि उसे ये बताना चाहिए कि बिना एक भी फनी डायलॉग वाली इस फिल्‍म को कोई क्‍यों सीरियसली ले। इस उदघोषणा को लिखने की जगह इतनी मेहनत फिल्‍म में कुछ अच्‍छे हास्‍य संवाद लिखने के लिए की जाती तो शयद फिल्‍म और दर्शकों का कुछ भला हो जाता।
 
Santa Banta Pvt. Ltd.
U/A; Comedy
Director: Akashdeep Sabir
Cast: Vir Das, Boman Irani, Neha Dhupia, Lisa Haydon


अब फिल्‍म है तो कहानी बतानी होगी
फिल्म की कहानी फिजी में रहने वाले भारतीय हाई कमिश्नर शंकर रॉय (अयूब खान) की है जिन्हें अगवा कर लिया जाता है। उनकी तफ्शीश के लिए भारत से सीक्रेट एजेंट्स संता (बमन ईरानी) और बंता (वीर दास) को भेजा जाता है। अब क्‍यों भेजा जाता है इसकी कोई वजह पूरी फिल्‍म देखने बाद भी आप नहीं समझ सकेंगे और अगर वजह है तो उसे निर्देशक ही समझता है और उसने हमसे साझा करने की जरूरत नहीं समझी है। फिजी पहुंचते ही कई सारे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं जिसमें संता बंता फंसते जाते हैं, क्‍योंकि उनके पास दिमाग नहीं है, अफसोस की आपके पास है। फिल्‍म की दोनों महिला पात्र (नेहा धूपिया और लीसा हेडन) इस फिल्‍म में महज प्रॉप की तरह इस्‍तेमाल हुई हैं और लगता है कि फिल्‍म में काम उन्‍होंने फ्री में फिजी में छुट्टी मनाने के लालच में ही किया है। बहरहाल ये ही फिल्‍म की कहानी है, जो फिल्‍म है तो कुछ तो बतानी पड़ेगी।  


बेहतर कलाकारों का खराब इस्‍तेमाल
शानदार अभिनेताओं को लेकर खराब फिल्‍म कैसे बनायी जा सकती है ये फिल्‍म इसका बेहतरीन उदाहरण है। बमन ईरानी और वीरदास जैसे मंझे और स्‍पानटेनियस हास्‍य अभिनेता इस फिल्‍म में बिलकुल बुझे हुए नजर आये हैं। दोनों कलाकार इस खोज में दिखते हैं कि कहां से कोई अच्‍छा पंच मिल सकता है पर वो आखीर तक नहीं मिलता। पूरी फिल्‍म में दोनों वही घिसे पटे बेवकूफी भरे सवाल एक दूसरे से बार बार पूछते रहते हैं।
Review by: Shubha Shetty Saha
shubha.shetty@mid-day.com

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Posted By: Molly Seth