क्‍या आप भी पाना चाहते हैं सुकून और नसीहत देने वाला माहौल दो घंटे के लिए. अगर हां तो जरूर देखने जाइयेगा फ‍िल्‍म दम लगाके हईशा. कम शब्‍दों में कहें तो फ‍िल्‍म असली खूबसूरती को बयां करती है. वह यह कहती है कि आप जो देख रहे हैं उसके पीछे की असल खूबसूरती को पहचानने की कोशिश करें. फ‍िल्‍म की कहानी दिल को सुकून पहुंचाने वाली है. हर किरदार का अभिनय तारकीय है. फ‍िल्‍म में लिरिक्‍स म्‍यूजिक माहौल डायलॉग सबका निर्देशन सधे हुए हाथों से किया हुआ लगता है.

कुछ ऐसी है कहानी  
फ‍िल्‍म में प्रेम प्रकाश तिवारी (आयुष्‍मान खुराना) निम्न मध्यवर्गीय परिवार का लड़का है, जो दसवीं में फेल होने के बाद से अपने पिता की वीडियो कैसेट्स की दुकान चलाता है. प्रेम के माता-पिता (संजय मिश्रा और अल्‍का अमीन) चाहते हैं कि वो ऋषिकेश के एक परिवार की संस्कारी, सुशील, कम बात करने वाली और बीएड की हुई लड़की संध्या से शादी कर ले. प्रेम के पिता ऐसा इसलिए चाहते हैं ताकि वह पढ़ी-लिखी लड़की आगे चलकर टीचर की नौकरी करके उनके घर में आमदनी का जरिया बन सके. प्रेम परिवार के दबाव में आकर मोटी लड़की से शादी कर लेता है.
जबरदस्‍ती का ठीकरा फूटता है सिर पर
अब ऐसे में कुमार सानू से प्यार करने वाले प्रेम के दिल पर क्‍या गुजरी होगी. यह तो जाहिर है कि कुमार सानू को पसंद करता है तो जाहिर है कि काजोल, करिश्मा, माधुरी की ख्वाहिश तो होगी ही, लेकिन बाबू जी की कुछ और ही योजना निकली. प्रेम के मुताबिक ऐसी भी क्या शादी और बीवी. सड़क पर, बाजार पर, पत्नी के बगल में चलने में शर्म आए. दोस्त भी मौज लें. आगे चलकर दोनों के बीच तकरार भी होती है. मान को भी चोट पहुंचती है. दोनों के रास्ते अलग हो जाते हैं. उसके बाद फिर हालात उन्हें कुछ वक्त के लिए साथ लाते हैं और तब इनको साथ के जादू का कुछ अलग ही रंग नजर आना शुरू होता है.


Dum Laga Ke Haisha

Director:  Sharat Katariya
Producer: Aditya Chopra, Maneesh Sharma
Cast : Ayushmann Khurrana,Bhoomi Pednekar,Sanjay Mishra,Alka Amin,Sheeba Chaddha

90 के दशक को किया है उजागर
आज के दौर की एक बेहतरीन फ‍िल्‍म. हरिद्वार और ऋषिकेश में बना फ‍िल्‍म का सेट. सब कुछ कुल मिलाकर हमें असल मतलब बताता आज के दौर की सही मायने की फ‍िल्‍म का. सबसे बड़ी खूबी है इसकी नई किस्म की कहानी और उसे जिंदा करते किरदार. फ‍िल्‍म में आज के निर्देशक शरद कटारिया (इन्‍होंने फ‍िल्‍म की कहानी और डायलॉग दोनों लिखे हैं.) का एक बड़ा अचीवमेंट साफ दिखाई देता है. फिल्म का चुस्‍त फैक्टर है इसका 90 के दशक का सेटअप. ये सेटअप सिर्फ ख्यालों में या कुमार सानू तक सीमित नहीं है. ड्रेस, संदर्भ और स्थितियों से भी जाहिर होता है. ये भी कह सकते हैं फ‍िल्‍म 90 के दशक के म्‍युजिक को श्रद्धांजलि है.   
फ‍िल्‍म देती है नसीहत  
फ‍िल्‍म में न्‍यूकमर भूमि का काम भी बेहद सराहनीय है. उन्‍होंने काफी हद तक अपने किरदार में उतरने की कोशिश की है. आयुष्‍मान खुराना का काम बहुत बेहतरीन रहा. फ‍िल्‍म के कास्‍टिंग डायरेक्‍टर शानू शर्मा को क्रेडिट जाता है इंडस्‍ट्री के कुछ अच्‍छे टैलेंट्स को मौका देने के लिए. बॉलीवुड की बेस्‍ट रोमैंटिक कॉमेडी फ‍िल्‍म में दम लगाके हईशा का नाम जरूर लिया जाएगा. फ‍िल्‍म आखिर में आपको इस बात की नसीहत जरूर देती है कि आपकी जिंदगी में हर वो इंसान अपनी खास जगह रखता है, जिसको आप नजरअंदाज करना चाहते हैं.

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