Movie review : कई कमियों के साथ 'परिंदा' की रीमेक बनकर आई हॉलीवुड फिल्म 'Broken Horses'
किरदारों पर एक नजर
फिल्म Broken Horses रीमेक है 1989 में बनी फिल्म परिंदा का. अब इस फिल्म की पटकथा को हॉलीवुड के धरातल पर ढाल कर लिखा है विधु विनोद चोपड़ा ने अभिजात जोशी के साथ. फिल्म को New Mexico में फिल्माया गया है. फिल्म परिंदा में नाना पाटेकर के किरदार को Broken Horses में निभाया है विन्सेंट डी ओनोफ्रियो ने. इन्होंने फिल्म में गैंगस्टर की भूमिका निभाई है. परिंदा के जैकी श्रॉफ का किरदार इस फिल्म में निभाया है क्रिस माक्र्वेट ने. फिल्म में इनके किरदार के साथ मानसिक अस्थिरता को जोड़ा गया है. फिल्म में बडी नाम का एक किरदार है, जो अपने पिता की मौत के बाद मानसिक रूप से बीमार हो जाता है. इस वजह से वह बड़े होने के बाद भी बच्चों सरीखी हरकतें ही करता है. फिल्म में परिंदा के अनिल कपूर का किरदार एंटन येलचिन ने निभाया है. इनका फिल्म में नाम है जैकब.
कुछ ऐसी है शुरुआत
अगर आपने भी फिल्म परिंदा देखी है, तो आप भी इसकी कहानी से परिचित होंगे. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इस हॉलीवुड रीमेक मूवी में बॉलीवुड की फिल्म पटकथा को भलिभांति कॉपी किया गया है. जैकब और बडी एक लंबे समय बाद गैंग को छोड़ने का फैसला लेते हैं. जुलियस इससे खुश नहीं है. अब जूलियस जैकब को मार देने की सोचता है, लेकिन जैकब बड़ी ही शातिर सोच के साथ खुद को और बडी को इन मुश्किलों से बचा लेता है.
Movie Review: Broken Horses
Starring: Anton Yelchin, Vincent D’Onofrio
Director: Vidhu Vinod Chopra
कुछ दिलचस्प बातें भी हैं
फिल्म में कुछ दिलचस्प बातें भी हैं. जैसे जूलियस बडी की मानसिक बीमारी का फायदा उठाता है, लेकिन आगे बढ़कर फिल्म को देखकर यही लगता है कि 1989 की बनी फिल्म आज की फिल्म से कहीं ज्यादा बेहतर थी. फिल्म के बीच में कई बड़े लॉजिकल गैप्स भी हैं. जैकब पर वार एक बाइकर के जरिए करवाया जाता है. यह तब है जब जैकब खुद एक चलती हुई कार में है. यहां जैकब को बचाने के लिए एक काल्पनिक रास्ते का निर्माण किया गया है.
फिल्म खड़े करती है कई सवाल
धीमी गति से आगे बढ़ती फिल्म उसकी तरक्की में मदद नहीं करती. यह फिल्म में सिर्फ लूपहोल्स को जगह देती है. सबसे ज्यादा विवाद फिल्म के प्लॉट को लेकर है, जिसको बिछाने का सिर्फ प्रयास किया गया है, लेकिन उसे सही से जांचा परखा नहीं गया है. फिल्म की पटकथा काफी जगह उलझी हुई सी नजर आई. फिल्म में जूलियस के किरदार को भी सही तरह से जगह नहीं दी गई है. सिर्फ इतना ही नहीं फिल्म के आखिर तक भी इसके दर्शकों के मन में यह सवाल उठता रहा कि आखिरकार मारा कौन गया था, जैकब के पिता या फिर बडी के पिता. यहां तक कि दर्शकों को ये भी नहीं पता चल पाया कि जूलियस को बडी के साथ इतनी आत्मियता क्यों है. ऐसे में अब अगर आप फिल्म परिंदा के फैन हैं तो ये फिल्म आपके मन में ऐसे कई सवाल खड़े कर देगी.