भले ही कोई कितना भी अपोज करे और जॉन अब्राहम कितना भी कहें कि वो कंट्रोवर्सीज के जरिए पब्‍लिसिटी नहीं चाहते पर सच यही है कि विरोध के चलते मद्रास कैफे को भरपूर पब्‍लिसिटी मिली है. एक नजरिए से ये अच्‍छी बात है फिल्‍म वाकई पब्‍लिसिटी डिजर्व करती है.

एक पॉलिटिकल थ्रिलर से कहीं आगे मद्रास कैफे एक बेहतरीन रियलिस्टिक इमोशनल ड्रामा भी है जो भीतर तक हमें छूता है. विक्रम सिंह (जॉन अब्राहम) एक आर्मी ऑफीसर है जिसे इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ की ओर से श्रीलंका में एक अंडर कवर ऑपरेशन के लिए भेजा जाता है. ये आपरेशन तब शुरू होता है जब इंडियन पीस आर्मी को फोर्सफुली श्रीलंका से बाहर भेज दिया गया था. अपनी श्रीलंका जर्नी के दौरान विक्रम की मुलाकात एक ब्रिटिश जनर्लिस्ट जया से होती है जो श्रीलंकन सिविल वॉर को कवर करने आयी होती है. इस इवेस्टिगेशन के दौरान विक्रम और जया दोनों को कुछ ऐसे मामलों का पता चलता है जो एक अलग और गहरी कांस्परेसी की कहानी कह रहे होते हैं. दोनों अपने अपने तरीके से इस सच को सामने लाना चाहते हैं और इस कोशिश में कई खतरों का सामना करते हैं, कई बार खुद टारगेट बनते हैं और कई बार अपने को अन सुलझे सवालों के घेरे में पा कर अपना लक्ष्य समढने की कोशिश में हैरान होते हैं.
इस सारी जद्दोजहद में कई सच्चाईयां सामने आती हैं जो आपको हिला कर रख देती हैं. फिल्म में एक डॉयलॉग है कि सच सिर्फ वही नहीं होता जो दिखाई पड़ता है. और फिल्म में सच के पीछे के ऐसे कई सच परत दर परत सामने आते हैं. डायरेक्टर सुजीत सरकार की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने बड़ी खूबसूरती से फिल्म को डाक्युमेंट्री बनने से बचाते हुए एक इमोशनल ड्रामे के रूप में लोगों के सामने पेश किया है. बिना शक फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है जिसके लिए इसका विरोध किया जा रहा है, पर हां सच से डरने वालों के लिए ये वाकई कंट्रोवर्शियल मूवी है.


जॉन ने बेहद नाजुक सब्जेक्ट उठाया है और एक बार फिर साबित किया है कि उनकी स्टोरी और इमोशंस को समझने की काबलियत बेजोड़ है. हां बतौर एक्टर उनकी लिमिटस हैं और उनके पार जाने की उन्होंने भरपूर कोशिश की है जिसमें डायरेक्टर का उन्हें पूरा सर्पोट किया है. ऐसी फिल्म बनाने के लिए वो वाकई बधायी के पात्र हैं. नरगिस फाकरी के करने के लिए जितना है उतना उन्होंने निभाने की पूरी कोशिश की है. इस फिल्म की अगर कोई खामी है तो बस इतनी कि इसके दोनों लीड एक्टर्स के लिए अपने को बहुत एक्सप्लोर करना है और अपनी लिमिटस् को तोड़ना है, वरना इतने सेंसटिव इशू पर इतनी खूबसूरत फिल्म बनाना कमाल की बात है. म्यूजिक इस फिल्म के लिए कोई इंर्पोटेंट रोल नहीं प्ले करता पर फिल्म को रोकता भी नहीं है. बहरहाल इस फिल्म को ना देख कर आप एक अच्छा एक्सपीयरेंस मिस कर देंगे.

Director: Shoojit Sircar
Cast: John Abraham, Nargis Fakhri, Rashi Khanna

Posted By: Kushal Mishra