'लुटेरा' 'उड़ान' के मेकर्स की एक नयी परवाज है जिसे उन्होंने एकता कपूर और अनुराग कश्यप जैसे फिल्म मेकर्स के साथ मिल कर बनाया है.


'लुटेरा' एक पीरियोडिकल रोमांस ड्रामा है. जिसमें सरप्राइजिंग टिविस्ट एंड टर्न हैं. फिल्म का नाम ही लुटेरा है तो ये तो समझ आता है कि इसका लीड करेक्टर कोई लुटेरा है लेकिन फिर भी फिल्म के एंड तक आप गैस नहीं कर सकते कि उसने सिवाय एक दिल के और क्या लूटा है. फाइनली आपको भी इस लुटेरे से प्यार हो जाता है.


कहानी स्टार्ट होती है 1953 के एक छोटे कस्बे से जहां पाखी (सोनाक्षी सिन्हा्) एक मासूम और डरपोक सी यंग गर्ल अपने एरिस्ट्रोक्रेट जमींदार फादर के साथ रहती है. उनकी इस रूखी फीकी लाइफ में चेंज तब आता है जब उसमें एक ऑर्कोलॉजिस्ट  वरुण (रणवीर सिंह) की एंट्री होती है. वरुण ऑर्कोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के लेटर के साथ अपनी स्टडी के लिए जमींदार की हेल्प लेने आता है. वरुण अपनी नॉलेज और अपनी फील्ड में अपनी एक्सपर्टीज से ना सिर्फ जमींदार को इंप्रेस कर लेता है बल्कि उसकी फेमिली को भी अपना बना लेता है और मासूम पाखी का दिल भी चुरा लेता है.

पाखी, वरुण की अट्रैक्टिव पर्सनैलिटी और चार्म में डूब कर उसके बेहद क्लोज होती जाती है. सामने नजर आती ढेर सारी अनसुलझी गुथ्थियों और मिस अंडरस्टैंडिंग्स के बावजूद पाखी, वरुण के अपने घर से जाने वाले दिन उसे अपने दिल का हाल बता देती है. वो अपने इमोशंस अपने फादर से भी शेयर करती है और वरुण को पाखी से शादी के लिए तैयार होना पड़ता है.  पर डेस्टिनी आपके इमोशंस के हिसाब से नहीं चलती, यह रियलाइजेशन पाखी को तब होता है जब उसे वरुण से जुड़ी कुछ सच्चाइयों का पता चलता है. वो बिखर जाती है और एक अजीब आइसोलेशन में चली जाती है जिससे निकलने में उसे बहुत वक्त लगता है. वो अपने रिलेशनशिप को खत्म करके लाइफ में मूव ऑन करने के लिए तैयार होती है. पर तभी वरुण एक नए रूप में पाखी के दरवाजे पर आ कर खड़ा हो जाता है.  फिल्म में भले ही सोनाक्षी और रणबीर के इंटीमेट सींस की बहुत चर्चा हुई है लेकिन सच तो ये है कि वो फिल्म का एक पार्ट भर हैं और काफी खूबसूरती से पिक्चराइज किया गया पार्ट हैं. रणबीर का ये दावा कि इस फिल्म में वाकई उन्होंने एक्टिंग की है बिलकुल गलत नहीं है. सोनाक्षी अपने रोल को सूट करती हैं कुछ सींस में तो वाकई उन्होंने कमाल किया है.

पहली वार ग्लैमर गर्ल से अलग एक ऐसे रोल में नजर आयी है जिसमें कुछ सब्टेंस है. विक्रमादित्य मोटवानी पहले ही अपने डायरेक्शनल टेलैंट को साबित कर चुके हैं उन्हें एक्टर्स के भीतर से एक्टिंग खींच कर निकलवाने का हुनर आता है. फिल्म के सारे सांग सूदिंग हैं और भले ही हर पार्टी में सुनाई ना देते हों पर आप उन्हें चलते फिरते गुनगुनाने के लिए मजबूर जरूर हो जायेंगे. सिर्फ एक ही चीज है जो फिल्म को बेहतर से बेहतरीन बनाने के रास्ते में आती है और वो है उसकी ट्रेडीशनल स्टोरी लाइन जो आपको सुनी सुनीलगती है. Director: Vikramaditya MotwaneCast: Ranveer Singh, Sonakshi Sinha, Vikrant Massey, Arif Zakaria

Posted By: Kushal Mishra