Movie Review : दर्शकों पर जुल्म ढाएगी 'दिल्लीवाली जालिम गर्लफ्रेंड'
कुछ दृश्यों के बाद जी उचट जाता
लेखक मनु ऋषि चड्ढा ने ध्रुव को केंद्र में रखा. उनके साथ दो और सहयागी जोड़े हैं. दोनों दोस्त हैं. उनमें से एक जरूरत पडऩे पर गानों में प्रेमिका जैसी हो जाती है. अनावश्यक तरीके से कुछ गाने जोड़ दिए जाते हैं. लेखक-निर्देशक इस गलतफहमी में रहते हैं कि दर्शकों का मनोरंजन हो रहा है, जबकि ऐसी फिल्मों में कुछ दृश्यों के बाद ही जी उचट जाता है. फिल्म सलीके की न हो तो फिर बांध नहीं पाती. लेखक-निर्देशक की ईमानदार कोशिश भी फिजूल हो जाती है.
कहीं का ईंट,कहीं का रोड़ा
ध्रुव के बालों के साथ पूरी फिल्म में समस्या रही है. हाई स्कूल के दिनों में किशोर अपनी खास पहचान और स्टायल के लिए अलग-अलग तरीके से बाल काढ़ते हैं. कम से कम छह तरीके से ध्रुव के बाल बनाए गए हैं. जो किरदार बालों को लेकर संजीदा नहीं है, वह अपने व्यवहार में भी ढुलमुल होगा. वही होता है. फिल्म कहीं से चलती है और फिर कहीं का ईंट,कहीं का रोड़ा बटोरती हुई रास्ता भूल जाती है. फिल्म के चाल चरित्र को घेरने और एक्सपोज करने का बचकाना प्रयास लंबा और दोहराऊ है.
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जैकी श्राफ अनफिट लगते
इस भूमिका में जैकी श्राफ अनफिट लगते हैं. पंजाबी लहजे में बोलते हुए वे नकली लगते हैं. दिल्लीवाली जालिम लड़की की पूरी कहानी कार की चोरी और चोर को एक्सपोज करने की है. उसमें पुलिस और चोर की मिलीभगत, सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार और दिल्ली के मध्यवर्गीय मोहल्ले के कुछ लड़के हैं. लगे हाथ एक चैनल को भी समेट लिया गया है. समझ में नहीं आता कि फिल्म के टायटल में जालिम लड़की का इस्तेमाल क्यों किया गया है? Hindi News from Bollywood News Desk