Movie Review: देशी खेल कबड्डी और गांव की समस्याओं का मिक्सअप Badlapur Boys
खेल से ज्यादा गांव की समस्या
फिल्म के हाफ पार्ट में तो बदलापुरगांव के असहाय लोगों से किए गए प्रॉमिस इग्नोर करते दिखाया गया, परेशान ग्रामीणों से वादे तो होते हैं लेकिन पूरे नहीं होते हैं. गांव में पानी का कोई डैम न होने से सालों से सूखे की मार पड़ रही है. तमाम वादों और कोशिशों के बावजूद जब पानी की समस्या नहीं हल होती है तो विजय के किसान पिता आत्मदाह कर लेते हैं. फिल्म में इस जगह से एक नया मोड़ आता है, विजय हिंदी फिल्मों की तरह बदला लेने की नहीं सोचता बल्िक वह अपने पिता के सपने को पूरा करने की ठान लेता है. इसके बाद गांव के एक मेले में विजय की मुलाकात सपना नाम की लड़की से होती है. विजय के मन में प्यार का फूल खिलता है और वह उससे उसका नाम पूछता है. विजय सपना के गांव तक जाता है और वे दोनों अगले साल के मेले में मिलने का वादा करते हैं. यहीं से फिल्म की कहानी में एक बड़ा चेंज होता है.
U/A; Action
Director: Shailesh Verma
Cast: Nishan, Saranya Mohan, Annu Kapoor, Puja Gupta
दो ट्रैकों पर घूमती रही स्टोरी
जैसे कि फिल्म स्पोटर्स के पर बेस है, फिल्म के हाफ पार्ट में तो खेल के प्रति जोश और उत्साह चरम पर होता है, लेकिन दुर्भाग्यवश बाद में ऐसा नहीं होता है, फिल्म के सेकेंड हाफ पार्ट में क्लाइमेक्स पूरा प्वाइंट से बाहर हो जाता है. शुरुआत में फिल्म की कहानी से लगता है कि यह देशी खेल कबड्डी पर आधारित है और इसी दिशा में बढ़ती है, लेकिन अचानक से फिल्म की कहानी दूसरे ट्रैक की ओर खिंचती चली जाती है.
खैर, फिल्म के डायरेक्टर शैलेश वर्मा को एक बड़ा क्रेडिट जाता है. जिन्होंने एक अच्छी परफारमेंस के साथ फिल्म को प्रेजेंट किया और हर एक कलाकार को स्क्रीन पर अच्छे से प्रेजेंट किया. अन्नू कपूर मिमिक्री को थोड़ा सा हटा दिया जाए तो एक्टर निशान और एक्ट्रेस सारान्या मोहन भी फिल्म में ठीक ही रहे, लेकिन कबड्डी के फैंस फिल्म को थोड़ा सा डिसप्वांइटेड करते हैं, क्योंकि फिल्म में स्पोटर्स से ज्यादा मेलोड्रामा दिखाया गया है. Courtesy:- मिड-डे Hindi News from Entertainment News Desk