भारत सरकार देश की सीमा पर पाकिस्तान से होने वाली कथित घुसपैठ को रोकने के लिए स्मार्ट बाड़ लगा रही है। सीमा सुरक्षा बल के डीजी के के शर्मा ने कहा है कि बाड़ लगाने का काम मार्च 2018 तक पूरा हो जाएगा।

तकनीक की मदद से रुकेगी घुसपैठ

भारत-पाकिस्तान की सीमा पर ऊंचे पहाड़ों से लेकर नदी और रेगिस्तान भी हैं। ऐसे में इस सीमा की हर जगह से सुरक्षा करना बेहद मुश्किल है। इसीलिए, बीएसएफ आधुनिक तकनीक की मदद से भारत-पाकिस्तान सीमा स्मार्ट बाड़ पर एक ही जगह से पूरी निगरानी के बारे में विचार कर रही है।

बीएसएफ का कहना है कि इस तकनीक से सीमा पर निगरानी को और भी मज़बूत बनाया जा सकता है।

बीएसएफ़ की तकनीकी मदद करने वाली कंपनी क्रॉन सिस्टम्स के सीईओ तुषार छाबड़ा ने इस मुद्दे पर बीबीसी से बात की।

वे कहते हैं, "हम दो सालों से बीएसएफ़ को तकनीक मुहैया करवा रहे हैं। लेकिन सुरक्षा कारणों से उसकी जानकारी हम साझा नहीं कर सकते। सीमा की सुरक्षा के लिए हम काफ़ी स्मार्ट उपकरण तैयार कर रहे हैं। हमारे अलावा टाटा और भेल जैसी संस्थाएं भी बीएसएफ़ को तकनीकी सहयोग दे रही हैं।"


भारत - पाकिस्तान सीमा

पूरा बॉर्डर 3,323 किलोमीटर से अधिक है

रोड क्लिफ लाइन 2308 किलोमीटर (गुजरात और जम्मू के कुछ क्षेत्रों से)

नियंत्रण रेखा 776 किलोमीटर (जम्मू में)

ग्राउंड पोज़िशन लाइन 110 किलोमीटर

 

ये ज़्यादातर नदियों और पर्वतों पर होंगी। कुल 2900 कि।मी। तक लेज़र दीवारें खड़ी की जा सकती हैं।

स्मार्ट बाड़ के लिए आवश्यक तकनीक ज़्यादातर विदेशों से आयातित की जाएगी। कुछ को बीएसएफ़ खुद भी विकसित कर रही है।

भेल, टाटा, क्रॉन जैसी संस्थाएँ भी उपकरण और तकनीक मुहैया करवा रही हैं।

ड्रोन और मानवरहित वाहन भी!

बीएसएफ़ ने 3डी आधारित भौगोलिक सूचना तंत्र भी इंस्टाल कर रखा है। यह अलग-अलग इलाकों से 3D तस्वीरें और अन्य सूचना एकत्रित करता है।

इनसे उपग्रहीय तस्वीरों को जोड़ने से इन इलाकों से संबंधित जानकारी बीएसएफ़ के मुख्यालयों से भी प्राप्त करने की सुविधा होगी।

ड्रोन और मानवरहित वाहनों को सीमा पर तैनात करने में इस व्यवस्था से मदद मिलेगी।

360 डिग्री निगरानी

स्मार्ट बाड़ के तहत लगाए जाने वाले राडार 360 डिग्री, यानी चौतरफ़ा निगरानी रखी जाएगी।

इसके कारण कोई भी राडार से बच नहीं सकेगा। इसके साथ ही कैमरे भी लगातार काम करते रहेंगे।

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इसराइल में सफल हो चुका है ये प्रयोग

इस तरह की स्मार्ट बाड़ इजराइल में भी है। लेकिन वहां पर सरहद सिर्फ 200 किलोमीटर है। सरहद से थोड़ी दूर में उपकरण बनाने वाली यूनिटें हैं।

इससे फ़ायदा यह होगा कि कोई उपकरण ख़राब होगा तो जल्दी से सुधारा जाएगा। भारत में ऐसा नहीं होगा।

राजकुमार अरोड़ा का कहना है कि सीमा की लंबाई ज़्यादा होने के कारण और तकनीकी के लिए इसराइल और अन्य दूसरे देशों पर निर्भर रहने के कारण इसके अमल की राह में कई दिक्कतें हैं।

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Posted By: Chandramohan Mishra