Facebook पर बहुत वक्‍त बिताने वाले लोग हमेशा पैसों और भौतिक सुख सुविधाओं के पीछे ही भागते रहते हैं यहीं नहीं वो अपने फ्रेंड्स को इंसान नहीं बल्कि एक ऑब्‍जेक्‍ट समझते हैं। Facebook यूजर्स की एक इंटरनेशनल रिसर्च ने चौंका दिया है दुनिया को।

ऐसी हो जाती है फेसबुक एक्टिव यूजर्स की सोच
यह बात आपको सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन यह सच है कि Facebook पर चिपके रहने वाले या कहें कि दिनभर थोड़ी थोड़ी देर में Facebook पर पोस्ट करने, देखने और लाइक करने वाले लोग कुछ ज्यादा ही भौतिकतावादी होते हैं और Facebook पर ज्यादा वक़्त बिताने वाले लोगों के लिए उनके Facebook फ्रेंड्स कोई इंसान नहीं बल्कि एक डिजिटल ऑब्जेक्ट जैसे बन जाते हैं। आजकल तमाम लोगों को तो फेसबुक सर्फिंग की लत सी लग गई है। ऐसे लोग एक दिन Facebook यूज ना करें तो उन्हें बेचैनी होने लगती है। अब फेसबुक से चिपके रहने की इसी लत से जुड़ी एक रिसर्च सामने आई है जो काफी चौंकाने वाली हैं। यह रिसर्च बताती है कि Facebook पर ज्यादा वक़्त बिताने वाले लोग अपने फ्रेंड्स को इंसान नहीं बल्कि एक सामान समझते हैं और ऐसे लोग भौतिक सुखों और लग्जरी को पंसद करने वाले होते हैं।

 

 

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दोस्तों के सामने खुद को बड़ा और खास दिखाने की चाहत
ऐसे लोग Facebook समेत तमाम सोशल मीडिया वेबसाइट पर अपने दोस्तों से खुद की तुलना करने या कहें कि अपने फ्रेंड या रिश्तेदारों से खुद को सुपीरियर दिखाने और बताने में ही बिजी रहते हैं। आइएएनएस की एक खबर के मुताबिक इंटरनेशनल मैगजीन हेलियोन में Facebook यूज़र्स पर एक रिसर्च प्रकाशित की है। रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि Facebook पर ज्यादा वक़्त बिताने वाले लोगों के दोस्त भले ही ज्यादा होते हैं लेकिन उनके लिए वो Facebook फ्रेंड्स को इंसान नहीं बल्कि डिजिटल ऑब्जेक्ट समझते हैं।

 

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रिसर्च कहती है कि Facebook पर जो लोग ज्यादा वक्त बिताते हैं। वो बाकी लोगों से काफी मटिरीयलिस्टिक यानी भौतिकतावादी होते हैं और ज्यादातर वक्त रुपए पैसों और लग्जरी लाइफ के बारे में देखते और सोचते हुए बिताते हैं। ऐसे लोग अपनी जिंदगी के लक्ष्यों को हासिल करने और खुद को दूसरों से बड़ा साबित करने में बहुत अच्छा महसूस करते हैं। इस स्टडी को करने वाले मुख्य राइटर जर्मनी के रुहर-युनिवर्सिटी के प्रोफेसर फिलिप ओजिमक बताते हैं कि फेसबुक पर ज्यादा वक्त बिताने वाले ऐसे मटिरीयलिस्टिक लोग अपने Facebook फ्रेंड से खुद की तुलना ही करते रहते हैं और हमेशा यह सोचते हैं कि कैसे वह उनसे अच्छे और बड़े दिखाई दें।


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Posted By: Chandramohan Mishra