सरकार अब परमानेंट नोटबंदी की तैयारी में जुट गई है। नोटबंदी और जीएसटी के बाद वित्‍तीय सुधारों पर की ओर मोदी सरकार अब अगला कदम उठाने जा रही है। नये कानून की जद में न सिर्फ बैंक बल्कि बचत खाता धारक सामान्‍य नागरिक भी आएगा। नये कानून का मसौदा संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने की पूरी तैयारी है। चूंकि संसद में एनडीए का बहुमत है तो इसके पारित होकर कानून बनने में भी कोई अड़चन नहीं है।


FRDI-2017 की तैयारी पूरीफाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल-2017 के लिए केंद्र सरकार ने कमर कस ली है। पूरी उम्मीद है कि यह बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश कर दिया जाएगा। यह बिल मानसून सत्र में एक बार पेश किया जा चुका है। उस समय इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास सुझाव के लिए भेजा गया था। समिति के सुझावों को देखते हुए अब नया बिल इस सत्र में पेश करने की पूरी तैयारी है। सदन में एनडीए के बहुमत को देखते हुए बिल के पारित होकर कानून बनने की पूरी संभावना है। नये कानून को परमानेंट नोटबंदी जैसा असर होगा।नोटबंदी का ये कैसा असर: हिंदी फिल्मों के नाम भी हुए कैशलेसनये कानून से परमानेंट नोटबंदी के बनेंगे हालात
अभी तक जो कानून है उसके अनुसार कोई बैंक बीमार घोषित होता है तो सरकार अपने खजाने से बैंकों को बेलआउट पैकेज देती है। सरकार के पैसे ही बैंक दोबारा खड़ा होने की कोशिश करता है। लेकिन अब नये कानून में यह प्रावधान खत्म कर दिया जाएगा। अब बीमार बैंकों को बेलआउट पैकेज सरकार नहीं देगी बल्कि उन्हें बेलइन के सहारे खुद को दोबारा उठ खड़े होने की कोशिश करनी होगी। इसका मतलब यह हुआ है कि बैंक में जमा ग्राहकों के पैसे निकालने की सीमा तय कर दी जाएगी।नोटबंदी के बाद देश ने देखे ये बदलावक्या है कानून और कैसे करेगा कामएफआरडीआई कानून से पहले एक ऐसा ही कानून देश में पहले से काम कर रहा है। इसका नाम है डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन। इस कानून के तहत ही ग्राहकों का बैंकों में जमा रकम सुरक्षित रहती है। यानी बैंक दीवालिया हो जाए या बीमार हो जाए इसके बावजूद उसकी एक लाख रुपये तक की जमा रकम सुरक्षित रहती है। यही वजह है कि देश के बैंकों में धन जमा करना आम ग्राहकों के बीच सुरक्षित और विश्सनीय माने जाते हैं। नये कानून से यह धारणा खत्म हो जाएगी।नोटबंदी के बाद सोने में खपाई गई थी ब्लैक मनी

Posted By: Satyendra Kumar Singh