इंडोनेशिया के बाद नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री महातिर से मिलने मलेशिया पहुंचे मोदी
सहयोग से संबंधित कई पहलुओं पर चर्चा करेंगेकुआलालंपुर (पीटीआई)। तीन देशों की यात्रा पर निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरे पड़ाव में गरुवार की सुबह मलेशिया पहुंच चुके है। वहां उन्होंने 92 साल के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद से मुलाकात की। प्रधान मंत्री कार्यालय ने एक ट्वीट में बताया कि मोदी महातिर के साथ भारत-मलेशिया सहयोग से संबंधित कई पहलुओं पर चर्चा करेंगे। मोदी और महातिर व्यापार और निवेश समेत कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर विचार-विमर्श करेंगे।दूसरी बार मलेशिया की यात्रा
बता दें कि पीएम मोदी ने नई दिल्ली में ही घोषणा की थी कि वे सिंगापुर जाने के दौरान मलेशिया में थोड़ी देर रुकेंगे और वहां के नए मलेशियाई नेतृत्व को बधाई देंगे। मोहम्मद महातिर दुनिया के सबसे उम्रदराज प्रधानमंत्री हैं। मलेशिया में 10 मई को महातिर की अगुआई वाली पकतन हरपन पार्टी ने बारिसन नेशनल पार्टी को हराया था। बारिसन नेशनल पार्टी ब्रिटेन से आजादी मिलने बाद बीते 61 साल से मलेशिया में सत्ता संभाल रही थी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी दूसरी बार मलेशिया पहुंचे हैं। इससे पहले वह 2015 में गए थे।इंडोनेशिया में 15 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए
बुधवार को मोदी की यात्रा के दौरान इंडोनेशिया और भारत के बीच रक्षा सहयोग समेत 15 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति विदोडो ने जकार्ता के 'नेशनल मॉन्यूमेंट' में पहली बार आयोजित संयुक्त प्रदर्शनी का उद्घाटन कर पतंगबाजी में भी हाथ आजमाया। प्रदर्शनी भारत के महाकाव्यों रामायण और महाभारत की थीम पर आधारित थी। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों नेताओं ने जकार्ता के लयांग-लयांग संग्रहालय और अहमदाबाद के पतंग संग्रहालय के बीच हुए समझौते का स्वागत किया।सिंगापुर के लिए रवाना होंगे मोदी मलेशिया के बाद प्रधानमंत्री मोदी सिंगापुर के लिए रवाना होंगे। वहां वे सिंगापुर के अपने प्रतिपक्षी से मुलाकात करेंगे। 17वें शंग्रीला वार्ता के दौरान वे कुछ अहम देशों के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष संबोधित करेंगे। लंदन में मोदी की राष्ट्रमंडल देशों की सरकारों के प्रमुखों समेत चीन, रूस और फ्रांस के प्रमुखों से वन-ऑन-वन वार्ता के बाद पहली बार वह वैश्विक स्तर पर अपना भाषण देंगे। शंग्रीला वार्ता में भी पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री संबोधन करेगा। वह एशिया से जुड़े मुद्दों पर भारत का रुख रखेंगे। यह वार्ता वर्ष 2002 से हर साल एशिया-प्रशांत क्षेत्र के विभिन्न देशों के रक्षा मंत्रियों, सैन्य अफसरों के बीच होती है।
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