कुछ साल पहले करीना कपूर के “ज़ीरो साइज़” फ़िगर को लेकर भारत में काफ़ी हल्ला मचा था. उसी दौरान विद्या बालन ने कहा था कि वह कभी ज़ीरो साइज़ फ़िगर नहीं बनाना चाहेंगी.

अमरीका में साइज़ को लेकर एक अलग किस्म का मामला उठा. स्वीडन की कपड़ा कंपनी एच एंड एम (हेन्स एंड मारिट्ज़) ने जब बीचवीयर (समुद्र तट पर पहने जाने वाले कपड़े) की किस्में दिखाने के लिए एक  मॉडल को चुना तो यह फ़ैशन जगत में बहुत चर्चा का विषय बना.

लेकिन एच एंड एम के बीचवीयर विज्ञापन को काफ़ी प्रचार मिला. इसकी मॉडल जेनी रंक कहती हैं कि शुरू-शुरू में उन्हें अजीब लगता था कि लोग इस बात का बतंगड़ बना रहे हैं कि वह बिकिनी में कैसी दिखती हैं. वह कहती हैं कि अब समय आ गया है कि हम साइज़ को मुद्दा बनाना छोड़ दें.
अलग हैं, अच्छे हैं
जेनी कहती हैं कि मैं एक शांत, किताबें पढ़ने वाली, वीडियो गेम खेलने वाली और शायद अपनी बिल्ली के प्रति ज़्यादा ही आसक्त लड़की हूं.

वह कहती हैं, “मेरे फ़ेसबुक पेज पर एक ही दिन में 2,000 से ज़्यादा लाइक आ गए. इस पर मैंने सोचा कि इस मौके का इस्तेमाल लोगों में आत्मविश्वास बढ़ाने और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए करूं.”

इसके बाद से उन्हें प्रशंसकों की ओर से कृतज्ञता जताने वाले बहुत से संदेश मिल रहे हैं. कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि जेनी के आत्मविश्वास को देखकर उन्होंने सालों बाद बिकनी पहनी है. जेनी कहती हैं, “यही वह चीज़ है जो हमें हमेशा से हासिल करना चाहती थी.”

यह संदेश ख़ासतौर पर किशोरियों के लिए महत्त्वपूर्ण है. जब हमारा शरीर बदलाव के दौर से गुज़रता है और हम एकदम अलग दिखने लगते हैं तब, बहुत भारी दबाव होता है कि हम एक-दूसरे जैसे ही दिखें. यह ऐसा लक्ष्य है जिसे हासिल करना असंभव है.

जेनी कहती हैं, “मुझे याद है कि 13 साल में मैं पाँच फुट 9 इंच की थी और 85 साइज के कपड़े पहनती थी. मैं उन लड़कियों को देखकर जलती थी जिनके बॉयफ्रेंड्स उन्हें कंधों पर उठाकर घूमते थे. इसके अलावा कपड़े खरीदने से लेकर जिम क्लास तक सब कुछ बहुत मुश्किल और तनाव भरा लगता था.”

वह किशोरियों को सलाह देती हैं, “अलग दिखना गलत नहीं है. तुम इस अटपटी महसूस होने वाली स्थिति से आराम से बाहर निकल जाओगी. बस इस पर ध्यान दो कि तुम सबसे अच्छी कैसे बन सकती हो.”
मोटा दुबला सब ठीक
जेनी कहती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह मॉडल बन सकती हैं. लेकिन जब उन्हें चुना गया तो उन्हें दो विकल्प दिए गए. पहला तो यह कि वह वजन घटाएं और 80 पर पहुंचें या 90 साइज़ के कपड़ों के लिए वज़न बढ़ाएं और “प्लस साइज़” मॉडल बनने के लिए तैयार हो जाएं.

जेनी के अनुसार वह जानती थीं कि वह कभी 85 साइज़ के उपयुक्त नहीं हो पाएंगी इसलिए उन्होंने प्लस साइज़ मॉडल बनना ही चुना. वह कहतीं हैं कि लोग प्लस साइज़ को मोटा मानते हैं, जो फिर भद्दा माना जाने लगता है लेकिन कई महिलाएं जिन्हें प्लस साइज़ माना जाता है वह अमरीका के राष्ट्रीय औसत 90-95 के बराबर हैं.

जेनी कहती हैं कि प्लस साइज़ को लेकर नकारात्मक धारणाएं हैं को दुबली महिलाओं को लेकर भी हैं. प्लस साइज़ महिला को मोटी कहा जाता है तो दुबली महिलाओं को सुकड़ी कहा जाता है.

जेनी मानती हैं कि किसी शरीर को आकर्षक करार देना और दूसरे की बुराई करना ठीक नहीं है. हमें अलग आकार और प्रकार के शरीर को लेकर यह मूर्खतापूर्ण नफ़रत ख़त्म करनी चाहिए, इससे किसी का भला नहीं होता.

 

Posted By: Garima Shukla