अमेरिकी कंपनी मिराच ने दी सहारा को वार्निंग, हर्जाना भरो या मांगो माफी
व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए राजी
सहारा प्रमुख सुब्रत राय की मुसीबते कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. अमेरिकी कंपनी मिराच कैपिटल के सीईओ सारांश शर्मा ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय को पत्र भेजा है. इसमें कंपनी ने कहा है कि क्षतिपूर्ति की राशि सहारा की ओर से जांच पड़ताल और इससे जुड़ी लागत के लिए दी गई 26 लाख डॉलर के अतिरिक्त होगी. इसके साथ ही सारांश शर्मा ने यह पेशकश भी की है कि मिराच अभी भी सहारा की खातिर 2.05 अरब डॉलर की सिंडिकेट लोन व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए राजी है. समूह को यह राशि सुब्रत राय को तिहाड़ जेल से छुड़ाने के लिए चाहिए. सहारा प्रमुख सुब्रत राय लगभग एक साल से जेल में हैं.
माफी मांगने के साथ आरोप वापस ले
मिराच ने शर्मा की ओर से सुब्रत राय को लिखे पत्र को मीडिया में भी उजागर किया है. इसमें सहारा की तीनों विदेशी प्रॉपर्टियों को एकमुश्त खरीदने का विकल्प भी दिया गया है. इसके अलावा तीसरे विकल्प के तौर पर अमेरिकी कंपनी ने कहा है कि यदि सहारा औपचारिक तौर पर माफी मांगने के साथ आरोप वापस ले तो वह समूह की ओर से दी गई 26 लाख डॉलर की राशि भी वापस कर देगी. हालांकि अभी तक इस पत्र पर फिलहाल सहारा की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आई है.
सारांश शर्मा ने कहा कि मिराच ने सात दिन पहले ही 26 लाख डॉलर की राशि वापस करने की पेशकश की थी, लेकिन सहारा ने जोर दिया था कि मिराच खर्च के लिए इसे अपने पास रखे. बैंक ऑफ अमेरिका के पत्र के संदर्भ में शर्मा ने कहा कि इसमें मिराच की तरफ से फर्जीवाड़े का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि यह बैंक से सीधे सहारा के वकीलों को भेजा गया था. इसे सौदे की गारंटी के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया गया था.
बैंक ऑफ अमेरिका ने अपने हाथ खड़े किए
वहीं इस पूरे मामले में बैंक ऑफ अमेरिका ने अपने हाथ खड़े कर दिए. उसने कह दिया कि उसका इस सौदे से लेनादेना नहीं है. इसी के बाद पत्र को लेकर धोखाधड़ी की बात सामने आई थी. सारांश शर्मा ने बीते शुक्रवार को भी इस बात का दावा किया है कि भारतीय समूह ने खुद भुगतान में चूक की आशंका से दो अरब डॉलर के संपत्ति के सौदे से पल्ला झाड़ा. उनका आरोप था कि सहारा समूह ने संपत्तियों की बिक्री के सौदे को बार-बार कम आंका. इसके अलावा निवेशकों, सेबी तथा अदालतों का समय बर्बाद किया. ऐसे में अब सहारा समूह अपने किए पर माफी मांगे.