हिंसा हुई तो चुप नहीं बैठेगी सेना
हिंसा में मरने वालों की संख्या 800 पारमिस्र में पिछले चार दिन से भडक़ी हिंसा में मरने वालों की संख्या 800 पार गई है. इनमें 79 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. ब्रदरहुड समर्थक मुर्सी को फिर से राष्ट्रपति बनाने की मांग पर डटे हुए हैं. ब्रदरहुड पर पहले भी प्रतिबंध लगाया जा चुका है. 1954 में सैन्य शासकों ने इसे भंग कर दिया था. इसके बाद होस्नी मुबारक ने भी इसे एक प्रतिबंधित संगठन बनाए रखा. यदि कैबिनेट ने ब्रदरहुड पर प्रतिबंध का निर्णय लिया तो इसके कार्यकर्ताओं और नेताओं को भूमिगत होना पड़ेगा. उन्हें आर्थिक मदद दे रहे लोग परेशानी में पड़ जाएंगे. पीएम ने की ब्रदरहुड पर प्रतिबंध की पैरवी
प्रधानमंत्री बेबलावी ने ब्रदरहुड पर प्रतिबंध की पैरवी करते हुए पत्रकारों से कहा, ‘जिनके हाथ खून से सने हैं वे क्या शांति प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे? ऐसे लोग सरकार, देश और सार्वजनिक संस्थानों के खिलाफ हथियार उठा रहे हैं. उन पर कार्रवाई जरूरी हो गई है.’ लेकिन, मुर्सी समर्थकों के संगठन ‘एंटी कूप अलायंस’ ने बयान जारी कर फिर से विरोध प्रदर्शन की अपील की है. संगठन की ओर से कहा गया है कि सुरक्षा बलों की कार्रवाई के विरोध में हमारा अभियान जारी रहेगा.मुख्य स्थलों की सुरक्षा कड़ी
मुर्सी समर्थकों की प्रस्तावित रैली को देखते हुए काइरो के मुख्य स्थलों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने मिस्र में चर्च, अस्पताल और सार्वजनिक संस्थानों पर हमले की निंदा की है. यूरोपीय यूनियन ने कहा है कि वह मिस्र के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करेगा.