नौकरी चाहिए तो देश से बाहर निकलिए!
स्पेन औऱ ग्रीस जैसे यूरोपीय देशों में अभूतपूर्व बेरोज़गारी के चलते मर्केल को कड़ी आलोचना का शिकार होना पड़ा है. बीबीसी के साथ विशेष बातचीत में ऐंगेला ने माना कि बेरोज़गारी की समस्या एक बड़ा संकट है लेकिन उन्होंने सरकारी ख़र्च पर लगाम कसने की नीति का दृढ़ता से बचाव भी किया. रोज़गार हासिल करने के मुद्दे पर वह कहती हैं कि उनके अपने इलाक़े यानी पूर्वी जर्मनी में जब बेरोज़गारी बढ़ी तब भी युवाओं के पास काम था क्योंकि वे काम की तलाश में दक्षिणी हिस्से में गए. मर्केल ने कहा कि लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए तैयार रहना होगा. खर्च पर लगाम
ऐंगेला मानती हैं कि इस समस्या से निपटने के लिए मूलभूत नीति सही थी.वे कहती हैं कि “नौकरियों और विकास के लिहाज से यूरोपीय देश मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं. मुद्दा ख़र्च में कमी नहीं है, असल मुद्दा विकास की पटरी पर वापस दौड़ना है.” इस नीति का बचाव करते हुए वो तर्क देती हैं कि ग्रीस औऱ स्पेन के लिए अपनाई गई नीति उनका निजी विचार नहीं था बल्कि इसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, यूरोपीय केन्द्रीय बैंक और यूरोपीय संघ की सहमति से अपनाया गया था.
जर्मनी के विरुद्ध हुए प्रदर्शनों पर उनके विचार पूछे जाने पर एंगेला का जवाब था कि “एक सरकार और एक नेता होने के नाते हमें इसे स्वीकार करना होगा. मैं चाहती हूं कि ये देश जल्द से जल्द इन हालातों से उबर जाएं.”बजट-संतुलन के मुद्दे पर एंगेला ने कहा कि इसे काफ़ी लचीले ढंग से अपनाया गया है. वह कहती हैं, ”आप और मैं दोनों जानते हैं कि सभी यूरोपीय देश विकास और स्थिरता समझौते पर सहमत हुए हैं. हालांकि तब भी हमने कई देशों का बजट घाटा 3 प्रतिशत से ऊपर रहने की संभावना को स्वीकार किया जैसे फ्रांस, स्पेन और पुर्तगाल.”