जर्मन तानाशाह एडोल्फ़ हिटलर की आत्मकथा माइन काम्फ़ मेरा संघर्ष पर 2015 के अंत में कॉपीराइट खत्म हो जाएगा.


क्या होगा जब जर्मन अधिकारी इस किताब के प्रकाशन और वितरण पर नियंत्रण नहीं रख पाएँगे.माइन काम्फ़ पर से कॉपीराइट खत्म होने का मतलब है कि जर्मनी में कोई भी इसे छाप सकेगा.क्या हो सकता असर, पढ़ें पूरा लेखएक दशक बाद जब हिटलर सत्ता में आए, तो यह एक प्रमुख नाज़ी किताब बन गई और इसकी एक करोड़ 20 लाख प्रतियां प्रकाशित की गईं.सरकार इस किताब को नवविवाहित जोड़ों को देती थी. यही नहीं, सुनहरी पत्ती वाली इस किताब को सभी वरिष्ठ अधिकारी अपने घरों में रखते थे.दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति पर अमरीकी सेना ने जब नाज़ियों के प्रकाशक इहर वरलॉग पर कब्ज़ा किया तो माइन काम्फ़ के सारे अधिकार बवेरिया स्टेट (बवेरिया की सरकार) के पास चले गए.
बवेरिया स्टेट ने सुनिश्चित किया कि जर्मनी में इस किताब का पुनर्प्रकाशन कुछ विशेष परिस्थितियों में ही हो सकेगा.


कैसे रुकेगा प्रकाशन?

बवेरिया स्टेट के शिक्षा और संस्कृति मंत्रालय के प्रवक्ता लुटविच यंगर कहते हैं, “इसी किताब का नतीजा था कि लाखों लोग मारे गए, लाखों प्रताड़ित हुए, पूरा क्षेत्र युद्ध की चपेट में आ गया. इसे भी ध्यान में रखना होगा और आप ऐसा तब कर सकते हैं, जब आप किताब के कुछ हिस्सों को उचित ऐतिहासिक टिप्पणियों के साथ पढ़ें.”कॉपीराइट ख़त्म होने के बाद म्यूनिख का इस्टीट्यूट ऑफ़ कंटेम्परेरी हिस्ट्री टिप्पणियों के साथ इस किताब की नया संस्करण जारी करने वाला है. इसमें किताब के मूल अंशों के साथ नीचे फुटनोट में टीकाएं होंगी.मसलन अगर किताब में किसी जगह जब हिटलर अपनी बात रखते हैं तो साथ ही कमेंटरी होगी जिसमें यदि तथ्यों से कोई छेड़छाड़ हुई है या फिर उन्हें जानबूझकर छिपाया गया है तो उसका ज़िक्र होगा.रोडिया कार्यक्रम 'पब्लिश ऑर बर्न' के प्रिजेंटर क्रिस बॉल्बी कहते हैं कि सांकेतिक कार्रवाई अब भी असरदार होगी.कॉपीराइट खत्म होने के बाद बवेरिया सरकार की योजना है कि इस मामले में नस्लीय घृणा को बढ़ावा देने के ख़िलाफ़ क़ानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.लुटविच यंगर कहते हैं, “हमारे विचार से हिटलर की विचारधारा नस्ली विद्वेष फ़ैलाने के प्रावधानों के तहत आती है. गलत हाथों में यह ख़तरनाक किताब है.”

Posted By: Satyendra Kumar Singh