क्‍या आपको पता है कि सोशल साइट्स पर विवादित कमेंट्स और कार्टून्‍स को लेकर गिरफ्तारी का हथियार बनी IT एक्‍ट की धारा 66ए के खिलाफ जंग का ऐलानकिसने किया. दिल्‍ली की श्रेया सिंघल ने. बताते चलें कि IT की इस धारा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने श्रेया की ही याचिका पर आदेश जारी करते हुए इसे अब खत्‍म कर दिया है. बताते चलें कि कानून की पढ़ाई कर रहीं श्रेया ने धारा 66ए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थीं. अब वह इसे अपनी और फ्रीडम ऑफ स्‍पीच के पक्ष में सबसे बड़ी जीत बताती हैं.

मुंबई में शाहीन ने किया था कुछ ऐसा कमेंट
बीते कुछ खास कमेंट्स पर गौर करें तो याद आएगा कि 2012 में बाल ठाकरे की अंतिम यात्रा के दौरान मुंबई से सटे पालघर की शाहीन नाम की एक लड़की ने कमेंट किया था. शाहीन के उस कमेंट को रीनू ने 'लाइक' किया. इसके बाद क्या था, दोनों लड़कियों को इस धारा के तहत पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. इसी मामले पर श्रेया ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका को दायर किया था. इनके बारे में बता दें कि एक वकील परिवार से आने वाली श्रेया ने 2012 में जनहित याचिका दायर की थी. जिस समय इन्होंने जनहित याचिका दायर की थी, उस वक्त उनकी उम्र महज 21 साल थी. इनकी मां मनाली सिंघल भी सुप्रीम कोर्ट में वकील ही हैं. इनकी दादी एक जज हुआ करती थीं.
 
श्रेया ने बताया इससे बड़ी जीत
अपनी दायर की हुई याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद श्रेया ने इसे अपनी सबसे बड़ी जीत बताया है. उन्होंने कहा कि वह बहुत खुश हैं. उनका कहना है कि इस धारा के चलते अधिकार, फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन पर लगाम लग रही थी. यह एक ऐसी धारा थी जिसके तहत पुलिस कुछ भी कमेंट करने वालों को गिरफ्तार कर सकती थी. हमारे देश में इस तरह के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन अब श्रेया की जीत के साथ ऐसा नहीं होगा. ऐसे में श्रेया का कहना है कि किसी को भी डरने की जरूरत नहीं होगी. वह जो चाहे वो लिख सकेगा.
सबसे ज्यादा इस धारा का गलत इस्तेमाल किया सरकारों ने
श्रेया का कहना है कि इस धारा का सबसे ज्यादा अगर किसी ने गलत फायदा उठाया है तो वो है कांग्रेस, बीजेपी व लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां. श्रेया कहती हैं कि सरकारों के अपने खुद के एजेंडे हो सकते हैं, लेकिन कानून तो आम लोगों के लिए होना चाहिए. ये हर तरह से उनके हित में होना चाहिए. सिर्फ इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में यह बात कही है कि सरकारें आती हैं और जाती हैं. कोर्ट इस आश्वासन पर काम नहीं कर सकता कि धारा 66ए का गलत इस्तेमाल नहीं होगा.
क्या कहा था केंद्र सरकार ने
गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में यह बात कही थी कि सरकार कोशिश करेगी कि इस धारा का देश में कहीं भी गलत इस्तेमाल न किया जा सके. सिर्फ यही नहीं केंद्र ने इसके लिए राज्य सरकारों को पत्र तक लिखा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की दलील को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया. श्रेया बताती हैं कि उनके परिवार ने उन्हें हमेशा से ही बढ़ावा देने का काम किया है. वह कहती हैं कि वह लॉ की स्टूडेंट हैं. इसलिए वह जानती हैं कि कोई भी नागरिक सीधे सुप्रीम कोर्ट तक अपनी बात को बेहद आसानी के साथ पहुंचा सकता है. श्रेया इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को एक वकील बनने से पहले ही बड़ी उपलब्धि हासिल करना मानती हैं. श्रेया के बारे में बता दें कि लॉ में एडमिशन लेने से पहले उन्होंने UK में तीन साल तक एस्ट्रोफिजिक्स की पढ़ाई की.
हेट स्पीच के खिलाफ हैं श्रेया  
श्रेया सिंघल कहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संविधान में मिलने वाले 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' के अधिकार को अब और भी ज्यादा मजबूती मिल जाएगी. वो बात और है कि श्रेया ये भी कहती हैं कि फ्रीडम ऑफ स्पीच का इस्तेमाल वहीं किया जाए, जहां इसकी जरूरत हो. सोशल साइट पर कुछ भी लिखने की आजादी के बारे में उनकी लड़ाई हेट स्पीच को बढ़ावा देने को लेकर कतई नहीं है. श्रेया बताती हैं कि अगर हेट स्पीच का मामला सामने आता है तो पुलिस के सामने कई ऐसी अन्य धाराएं हैं, जिनके तहत वह कार्रवाई कर सकती है.
 
मां ने दिया बढ़ावा
जब श्रेया UK से 2012 में स्वदेश लौटी थीं, तभी धारा 66ए के तहत देश में कई गिरफ्तारियां हुईं. बाल ठाकरे पर कमेंट करने को ल्रेकर मुंबई से सटे पालघर की दो लड़कियों की गिरफ्तारी, सरकार के खिलाफ कार्टून बनाने पर असीम त्रिवेदी को गिरफ्तार किए जाने के बाद श्रेया इस कानून को लेकर इस कानून से काफी नाराज थीं. इस बारे में उन्होंने अपनी मां से चर्चा की. इसको लेकर उनकी मां से गर्मागर्म बहस भी हुई. उस समय मां ने कहा, 'तुम इसे लेकर पीआईएल क्यों नहीं फाइल करती'. मां की सलाह के एक सप्ताह बाद ही एक वकील की मदद से श्रेया ने याचिका दायर कर दी थी.
चीफ जस्टिस बोले कुछ ऐसा
सुप्रीम कोर्ट में जब श्रेया ने इसको लेकर PIL दायर की थी, तो उस वक्त मामले की सुनवाई तत्कालीन चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर कर रहे थे. उस वक्त उन्होंने कहा था कि आज तक किसी ने इस धारा के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाई. इसके बाद याचिका की कॉपी सुप्रीम कोर्ट की ओर से एटर्नी जनरल और महाराष्ट्र सरकार को भी भेज दी गई.

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Posted By: Ruchi D Sharma