इस असुर के वध के लिए हुआ था मां कात्यायनी का जन्म, खुश हो जाएं तो दूर कर देती हैं सारे कष्ट
सर्वप्रथम इनकी पूजा
नवरात्र के देवी के छठवें दिन मां कात्यायनी देवी की उपासना की जाती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार कत नामक एक महर्षि थे और उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए थे। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन का जन्म हुआ था। कात्यायन ऋषि ने मां भगवती पराम्बा की वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। जिसके बाद माता रानी उन पर प्रसन्न हुई और उनकी इच्छा पूरी करने का वरदान दिया। ऐसे में कात्यायन ऋषि की इच्छा थी कि माता उनके घर पुत्री के रूप में अवतार लें। इसके बाद जब पृथ्वी पर असुर दानव महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश काफी परेशानी हो गए। इसके बाद इन तीनों देवताओं ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। ऐसे में देवी के उत्पन्न होने के बाद महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। जिसकी वजह से इनका नाम कात्यायनी देवी पड़ा। इसके बाद माता रानी ने सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तीन दिन तक कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण की। इसके बाद दशमी को महिषासुर का संहार कर दिया। यह मां सदियों से कर रही अपने भक्त गोरखनाथ का इंतजार, इस शक्तिपीठ में अकबर ने भी मानी थी अपनी हार
Spiritual News inextlive from Spirituality Desk