सोशल मीडिया पर विवादित ट्वीट्स हों या सत्तारूढ़ मुस्लिम लीग के समर्थन में दिया गया बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम नवाज़ ख़बरों में बने रहने का हुनर ​​जानती हैं।

ट्विटर पर मरियम नवाज़ की राजनीतिक सक्रियता उनके सियासत में आने का संकेत देती है।

ऐसी ख़बरें भी हैं कि वो अगले साल होने वाले आम चुनाव में भाग ले सकती हैं और केवल यही नहीं, कहा तो यहां तक जा रहा है कि वह प्रधानमंत्री बनने की इच्छा भी रखती हैं।

बीबीसी से बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार आरिफ़ निज़ामी ने कहा, 'प्रधानमंत्री के दोनों बेटे हसन और हुसैन या तो राजनीति में रुचि नहीं रखते या फिर इस इम्तेहान में पूरे नहीं उतर सके। इसलिए मरियम नवाज़ का चुनाव किया गया। हालांकि अभी तक नवाज़ परिवार के महत्वपूर्ण निर्णय हमेशा पुरुष ही करते आए हैं।'

उन्होंने आगे कहा, 'अगर उन्होंने चुनाव में भाग लिया... मुझे लगता है कि वो हिस्सा लेंगी, तो विपक्ष को भी आम जनता के बीच मरियम नवाज़ की लोकप्रियता का अंदाजा हो जाएगा।

गवर्नर मोहम्मद ज़ुबैर के मुताबिक, "वो मुस्लिम लीग की लीडर हैं और मैं यह नहीं कहता कि वो पार्टी प्रमुख हैं, लेकिन वो पार्टी की सदस्य तो हैं ही, इसीलिए उन्हें आलोचना का शिकार बनाया जाता है।"

 

तो मरियम नवाज़ पार्टी में क्या भूमिका निभा रही हैं?

इस सिलसिले में आरिफ़ निज़ामी कहते हैं, 'मरियम संसद की सदस्य तो नहीं हैं, लेकिन वह प्रधानमंत्री के करीबी सलाहकारों में हैं। इसके अलावा पीएम हाउस में स्थापित मीडिया सेल भी वही चलाती हैं और जाहिर तौर पर वे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को ख़ासतौर पर नियंत्रित करती हैं। टीवी पर विपक्ष के ख़िलाफ़ क्या रवैया अपनाना है, यह फ़ैसला भी मरियम ही करती हैं।'

आलोचक कहते हैं कि मरियम नवाज़ ट्विटर पर सार्वजनिक मुद्दों के बजाय राजनीतिक झगड़ों पर ज़्यादा ध्यान देती हैं।

कुछ महिला सांसदों की भी यह शिकायत है कि महिलाओं से जुड़े मुद्दे मरियम की प्राथमिकता सूची में नहीं दिखाई देते।

 

सिंध के गवर्नर मोहम्मद ज़ुबैर ऐसा नहीं मानते।

उनका कहना है, 'मरियम कहती हैं कि महिला होने के नाते जरूरी नहीं कि वे केवल महिलाओं के मुद्दों पर ही बात करें। अगर वह राजनीति में आधिकारिक रूप से आती हैं, तो महिलाओं के अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य वे क्षेत्र हैं जिनमें बेहतरी लाना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी।'

मरियम नवाज़ अपने पिता के बलबूते पर सार्वजनिक राजनीति में आ तो जाएंगी, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या वे अपनी योग्यता के आधार पर जनता और पार्टी का समर्थन हासिल कर पाएंगी?


Posted By: Satyendra Kumar Singh