छुटि्टयां मनाने मंगल ग्रह पर जाइए! इतना लगेगा किराया
रियूजेबल तकनीक का होगा विकास
मस्क ने आगे यह भी कहा कि हम ट्रिप के लिए यूज होने वाले रॉकेट का जितनी ज्यादा बार उपयोग करेंगे उतना ही बेहतर होगा। ऐसे में अगर रीयूजेबल रॉकेट्स टेक्नोलॉजी को विकसित कर लिया जाए तो टिकट की कीमत पर काफी असर पड़ेगा। इसका किराया घटकर 1.4 करोड़ रुपए तक आ जाएगा। मस्क ने कहा, उनकी टीम रीयूजेबल और सस्ते स्पेसक्राफ्ट को डेवलेप करने पर फोकस कर रही है। स्पेस एक्स ऐसे ट्रांसपोर्ट सिस्टम डेवलप कर रही है जिसके तहत स्पेसक्राफ्ट के टॉप पर रीयूजेबल पावर बूस्टर और 2 रॉकेट्स को फिट किया जाएगा। इसकी लंबाई बोइंग 747 से दोगुनी होगी।
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150 दिन की होगी एक ट्रिप
जानकारों की मानें तो एक ट्रिप में 80 से 150 दिन के बीच का समय लगेगा। हर रॉकेट में एक ऐसा एरिया होगा जहां पैसेंजर्स जीरो ग्रैविटी गेम्स खेल सकते हैं। एक एयरक्राफ्ट में 100 पैसेंजर्स तक जा सकेंगे।' मस्क ने कहा, 'मैं यहां सही मायने में ऐसी चीज हासिल करने की कोशिश कर रहा हूं जहां मंगल को संभावना के तौर पर देखा जाए।
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