अदालती फरमान के चलते CBI ने मनमोहन सिंह को फिर घेरा
तालाबिरा-2 ब्लॉक के आवंटन पर पूछताछ
ये पूछताछ 27 जनवरी को सीबीआई की विशेष्ा अदालत में स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने से कुछ रोज पहले की गई है. वहीं दूसरी ओर सीबीआई की प्रवक्ता कंचन प्रसाद और पूर्व प्रधानमंत्री के सहायक से इस संबंध में सवाल करने पर उन्होंने इसकी पुष्टि करने से इंकार कर दिया है. मनमोहन सिंह से कोयला घोटाले के मामले में हिंडाल्को के तालाबिरा-2 ब्लॉक के आवंटन के सिलसिले में पूछताछ की गई. बताते चलें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास उस समय कोयला मंत्रालय भी था. बताया जा रहा है कि 16 दिसंबर को इस मामले में आए अदालत के आदेश के संदर्भ में ये तफ्तीश की गई.
मंगलम बिड़ला का पीएमओ को लिखा पत्र बना वजह
सूत्रों बताते हैं कि मनमोहन सिंह से ये तफ्तीश उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला के पीएमओ को 7 मई, 2005 व 17 जून, 2005 को लिखे पत्रों को लेकर हुई है. गौरतलब है कि इस पत्र में कुमार मंगलम ने तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से ओडिशा में तालाबिरा-2 कोयला ब्लॉक को हिंडाल्को को आवंटित किए जाने की अपील की थी. इसके बाद पीएमओ में हुई गतिविधियों को लेकर भी सीबीआई ने मनमोहन सिंह से सवाल-जवाब किये. उल्लेखनीय है कि अरसे से ढीली पड़ी सीबीआई की जांच में अब तेजी के साथ रफ्तार आने का कारण विशेष न्यायाधीश भरत पराशर का इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट को ठुकराना है.
क्या कहा था पीके पारेख ने
इस मामले को लेकर अदालत का भी यह कहना था कि बेहतर होगा कि तब के कोयला मंत्री (मनमोहन सिंह) से इस मुद्दे से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर सही से पूछताछ की जाये. यह भी बताते चलें कि कोयला घोटाले में दर्ज 14वीं एफआईआर में सीबीआई ने आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला व पूर्व कोयला सचिव पीके पारेख को आपराधिक षड्यंत्र का आरोपी बनाया था. इसको लेकर पीके पारेख ने यह दावा किया था कि आखिरी फैसला प्रधानमंत्री (तबके) ने लिया था, इसलिए उन्हें भी इसका आरोपी बनाया जाये.