Mangala Gauri Vrat 2023 : सावन अधिक मास 18 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस दिन सावन का तीसरा और अधिक मास का पहला मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा। आइए जानें मंगला गाैरी व्रत की विधि व इसका महत्व...

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Mangala Gauri Vrat 2023 : सावन में अधिक मास 18 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस दिन ही सावन का तीसरा और अधिकमास का पहला मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा। मंगला गौरी व्रत बहुत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। यह व्रत देवी पार्वती को समर्पित है। इस दिन बड़ी संख्या में लोग व्रत रखते हैं और देवी गौरी की विधिविधान से पूजा करते हैं। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह मंगला गौरी व्रत रखती हैं, जबकि कन्याएं एक आदर्श पति पाने के लिए यह व्रत रखती हैं। मान्यता यह भी है कि जिन लोगों को विवाह में देरी का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें मनचाहा वरदान पाने के लिए श्रावण माह के दौरान यह व्रत जरूर करना चाहिए।

मंत्र
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।

सर्व बाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः॥.!!

पूजन सामग्री
मंगला गाैरी में पूजा में सोलह श्रृंगार की सामग्री, फल, देसी घी, दीया, 16 कपास बाती, मिठाई, मीठा पान, सुपारी, इलाइची, लौंग, लाल रंग के फूल और पंच मेवा, हवन सामग्री, आम के पत्ते और आम की लकड़ी शामिल की जाती है।

इस तरह से करें पूजन
1. सुबह जल्दी उठें और स्नान करने से पहले पूजाघर को साफ करें।
2. पवित्र इरादे और समर्पण के साथ व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए।
3. व्रत करने वालों को लाल रंग के कपड़े अवश्य पहनने चाहिए।
4. एक लकड़ी का पटा लें और उस पर देवी की एक मूर्ति रखें।
5. मां गौरी को आभूषणों और वस्त्रों से सजाएं और सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
6. सोलह रूई की बाती बनाएं और फिर देसी घी का दीया जलाएं।
7. देवी को प्रसन्न करने के लिए कथा पढ़ें और विभिन्न मंत्रों का जाप करें।
8. पूजन के बाद हवन भी करें।
9. खीर का भोग प्रसाद लगाएं और आरती करें।
10. विवाहित महिलाओं को अपने बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
11. अविवाहित महिलाएं देवी गौरी का आशीर्वाद लें।

Posted By: Shweta Mishra