भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तानी किशोरी मलाला युसूफजई को शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया है. दोनों को संयुक्त रूप से इस पुरस्‍कार के लिये नामित किया गया था. ओस्लो में शुक्रवार को इसकी घोषणा की गई. नोबेल की दौड़ में इस दफा कुल 278 नाम थे जिसमें 47 संस्थाएं भी शामिल थीं.

बचपन बचाओ अभियान के मुखिया  
भारत में बाल अधिकारों के लिए कैलाश सत्यार्थी पिछले कई सालों से संघर्ष कर रहे हैं. इसके साथ ही उनका प्रयास कई मौकों पर विश्वभर में सराहा जा चुका है. बचपन बचाओ आंदोलन नामक गैर सरकारी संगठन के वे प्रमुख हैं. कैलाश का जन्म 11 जनवरी, 1954 को हुआ था. सन 1990 से वे बाल अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं. बाल अधिकारों के लिए दुनियाभर में चलाए जा रहे कई आंदोलनों में वे शिरकत कर चुके हैं. उनके एनजीओ बचपन बचाओ आंदोलन ने अब तक करीब 80 हजार बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया है. कैलाश सत्यार्थी यूनेस्को के सदस्य भी रहे हैं. नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि यह सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है.
तालिबानियों को दिया था जवाब
कैलाश सत्यार्थी के साथ मलाला को भी इस पुरस्कार से नवाजा गया है. मलाला का जन्म 1997 में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के स्वात जिले में हुआ था. मलाला यूसुफजई पर 9 अक्टूबर 2012 को तालिबान आतंकवादियों ने खैबर प्रांत में स्वात घाटी में हमला किया था. इस हमले में मलाला गोली लगने से घायल हो गई थी. इसके बाद पूरी तरह से स्वस्थ्य होने पर उन्होंने फिर से लड़कियों की शिक्षा के लिये तालिबान से लड़ाई लड़ी. आपको बता दें कि मलाला को अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार, पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार (2011) के अलावा कई बड़े सम्मान मिले चुके हैं. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र की ओर से 12 जुलाई को मलाला दिवस भी घोषित किया जा चुका है.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari