Makar Sankranti 2020: क्यों मनाते हैं मकर- संक्रांति, जानें महत्व व पौराणिक कथा और पूजन फल
- मकर सक्रांति,15 जनवरी 2020, बुधवार- शनि प्रकोप से मुक्ति पाने का पर्व है मकर सक्रांति- 15 जनवरी 2020 : मकर सक्रांति प्रवेश काल रात्रि 2: 06 बजे- विशेष पुण्य काल- प्रातः काल से सूर्यास्त तक- इस दिन(पुत्र राजा)शनि की राशि एवं गृह में करेंगे प्रवेश (पिता मंत्री) सूर्य देव- आज से धनु (खर) मास का होगा समापनइस वर्ष की मकर संक्रांति बहुत महत्वपूर्ण है
इस वर्ष 2020 में मकर संक्रांति होना विशेष महत्व पूर्ण है क्योंकि इस संवत्सर 2076 के राजा शनि और मंत्री सूर्य हैं। मकर सक्रांति अयन संक्रान्ति होने के कारण अति महत्वपूर्ण है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति के स्वामी सूर्य पुत्र शनि देव हैं।शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए इस दिन की गई सूर्योपासना महा शुभ है। मत्स्य पुराण के अनुसार मकर सक्रांति के दिन सूर्योपासना के साथ यज्ञ, हवन एवं दान को पुण्य फलदायक माना गया है। शिव रहस्य ग्रंथ के अनुसार मकर सक्रांति के अवसर पर हवन पूजन के साथ खाद्य वस्तुओं में तिल एवं तिल से बनी वस्तुओं का विशेष महत्व बताया गया है।मकर सक्रांति का दान
मकर सक्रांति के दिन स्नान- दान का विशेष महत्व है। पदम पुराण के अनुसार इस संक्रांति में दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।इस दिन भगवान सूर्य को लाल वस्त्र गेहूं गुड़ मसूर दाल तांबा स्वर्ण सुपारी लाल फूल नारियल दक्षिणा आदि सूर्य दान का शास्त्रों में विधान है।इस संक्रांति के पुण्य काल में किये गए दान- पुण्य सामान्य दिन के दान- पुण्य से करोड़ों गुना ज्यादा फल देने वाला होता है।मकर सक्रांति का महत्व
शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि कर्क संक्रांति के समय सूर्य का रथ दक्षिण दिशा की ओर मुड़ जाता है।इससे सूर्य का मुख दक्षिण दिशा की ओर एवं पीठ हमारी ओर होती है, इसके विपरीत मकर सक्रांति के दिन से सूर्य का रथ उत्तर की ओर मुड़ जाता है अथार्त सूर्य का मुख हमारी ओर (पृथ्वी की ओर) हो जाता है।फलतः सूर्य का रथ उत्तराभिमुख होकर हमारी ओर आने लगता है और सूर्य देव हमारे अति निकट आने लगते हैं।मकर सक्रांति सूर्य उपासना का अत्यंत महत्वपूर्ण विशिष्ट एक मात्र पर्व है।यह एक ऐसा पर्व है जो सूर्य से सीधे संबंधित है। मकर से मिथुन तक की 6 राशियों में 6 महीने तक सूर्य उत्तरायण रहते हैं तथा कर्क से धनु तक की 6 राशियों में 6 महीने तक सूर्य दक्षिणायन रहते हैं। कर्क से मकर की ओर सूर्य का जाना दक्षिणयन तथा मकर से कर्क की ओर जाना उत्तरायण कहलाता है।सनातन धर्म के अनुसार उत्तरायण के 6 महीनों को देवताओं का एक दिन और दक्षिणयन के 6 महीने को देवताओं की एक रात्रि माना गया है।- ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्माबालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेलीMakar Sankranti 2020 : 15 जनवरी को मकर संक्रान्ति, इस अवसर पर स्नान दिलाता है अनंत पुण्य