मकर संक्रांति 2019: जानें क्या है पुण्य काल, इस दिन स्नान न करने से होती है ये हानि
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना 'मकर-संक्रांति' कहलाता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा गया है। इस तरह मकर-संक्रांति एक प्रकार से देवताओं का प्रभातकाल है।
इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व है। इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है। इस वर्ष भगवान सूर्य मकर राशि में सोमवार 14 जनवरी को रात्रि 2 बजकर 12 मिनट पर प्रवेश कर रहे हैं।मकर संक्रांति का पुण्य काल, शुभ मुहूर्तधर्मसिन्धु के अनुसार, सूर्यास्त के बाद मकर संक्रांति होने पर पुण्य काल अगले दिन होता है-यद्यस्तमयवेलायां मकरं याति भास्करः।प्रदोषे वाSर्धरात्रे वा स्नानं दानं परेSहनि।।
मकर संक्रांति लगने के समय से 20 घटी (8 घण्टा) पूर्व और 20 घटी (8 घण्टा) पश्चात् पुण्य काल होता है। इसी में तीर्थादि स्नान तथा दान करना चाहिए। अतः इस वर्ष मंगलवार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनायी जाएगी।
स्नान न करने वाले को होती है ये हानिमकर-संक्रांति के दिन स्नान न करने वाला व्यक्ति जन्मजन्मान्तर में रोगी तथा निर्धन होता है-रविसंक्रमणे प्राप्ते न स्नायाद्यस्तु मानवः।सप्तजन्मनि रोगी स्यान्निर्धनश्चैव जायते।। (धर्मसिन्धु)गंगा तट पर दान की विशेष महिमा
मकर-संक्रांति के दिन गंगास्नान तथा गंगा तट पर दान की विशेष महिमा है। तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर का मकर-संक्रांति का पर्व स्नान तो प्रसिद्ध ही है। मकर-संक्रांति के विषय में संत तुलसीदास जी ने लिखा है-माघ मकरगत रबि जब होई।तीरथपतिहिं आव सब कोई।।इसलिए संगम पर है स्नान का महत्वऐसा कहा जाता है कि गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर प्रयाग में मकर-संक्रांति के दिन सभी देवी-देवता अपना स्वरूप बदलकर स्नान के लिए आते हैं। अतएव वहां मकर-संक्रांति के दिन स्नान करना अनन्त पुण्यों को एक साथ प्राप्त करना माना जाता है।— ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्रलोहड़ी 2019: जानें क्या है इसका अर्थ, सती से क्या है इसका संबंध12 जनवरी को है स्कंद षष्ठी, जानें कब है मकर संक्रांति और लोहड़ी