देश में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन चलाने की महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत सरकारी गाडिय़ों से की जाएगी। केंद्र की मंशा है कि अगले पांच वर्षों के भीतर 50 परसेंट सरकारी वाहन बिजली से चलने लगें। अगर सिर्फ केंद्र और राज्य सरकारों के सारे विभागों व उपक्रमों में बैट्रीचालित वाहनों का उपयोग होने लगे तो इससे उद्योग के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कारोबार पैदा हो सकता है। इसके अलावा और भी कई बड़े फायदे होंगे।


तीन माह पहले किया था ऐलानयह काम बिजली मंत्रालय के तहत आने वाली एनर्जी एफिसिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) के जरिए किया जाएगा। तकरीबन तीन माह पहले सरकार की तरफ से बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने एलान किया था कि वर्ष 2030 के बाद से देश में सिर्फ बिजली चालित कारों की बिक्री होगी। शुरुआत में ही यह 10 लाख करोड़ रुपये का उद्योग होगा। इसके लिए देश की कुछ बड़ी दिग्गज ऑटो कंपनियों के साथ बातचीत भी शुरू हो चुकी है। टाटा मोटर्स, महिंद्रा जैसी कंपनियों के साथ विमर्श हुआ है। इन कंपनियों ने भरोसा दिलाया है कि अगर उन्हें उचित वातावरण दिया जाए तो वह देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार को विकसित करने में पूरी मदद करेंगे। दो लाख करोड़ रुपये का उद्योग
सरकारी सूत्रों का कहना है कि सिर्फ सरकारी वाहनों को ही बदलने का काम ही पांच वर्षों में दो लाख करोड़ रुपये का उद्योग बना देगा। सरकार की तरफ से इसके लिए राज्य सरकारों के साथ ही वाहन बनाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन देने की तैयारी है। दैनिक जागरण ने पहले ही पाठकों को यह बता चुका है कि विभिन्न सरकारी मंत्रालयों के सहयोग से इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा देने को एक विस्तृत नीति तैयार की जा रही है। दरअसल, ईईएसएल की तरफ से पिछले हफ्ते ही 10,000 मिड साइज इलेक्ट्रिक कारों की खरीद के लिए निविदा जारी की गई है। ये कारें दिल्ली में बिजली, कोयला, खनन व अक्षय ऊर्जा मंत्रालयों के तहत आने वाले तमाम उपक्रमों (एनटीपीसी, एनएचपीसी, पावर ग्र्रिड, कोल इंडिया वगैरह) में इस्तेमाल की जाएंगी। नीति में अहम भूमिका निभाएगीइस निविदा के बाद दूसरे चरण में जो कारें खरीदी जाएंगी, उन्हें दूसरे सरकारी मंत्रालयों व इनके उपक्रमों में इस्तेमाल में उपयोग किया जाएगा। इन कारों को खरीदने के साथ ही सरकारी भवनों में इन्हें चार्ज करने की व्यवस्था भी की जाएगी। ईईएसएल उन्हीं कारों को खरीदेगी, जो एक बार चार्ज करने पर कम से कम 150 किलोमीटर तक चलें। यही वह कंपनी है जिसने देश में एलईडी को सस्ता करने की सरकारी योजना को लागू करने का काम किया है। आने वाले दिनों में यह सरकार की इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की नीति में अहम भूमिका निभाएगी। इलेक्ट्रिक वाहनों के दाम घटाना चुनौती


बिजली मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अभी इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों को घटाना सबसे बड़ी चुनौती है। ईईएसएल का एलईडी बल्ब का अनुभव इसमें काम आएगा। बिजली से चलने वाली कारों की कीमत अभी काफी ज्यादा है। सरकार का आकलन है कि चार दरवाजे वाली एक इलेक्ट्रिक सेडान की कीमत अभी भारत में 15 लाख रुपए से करीब होगी। लेकिन अगर इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर हो और तेजी से मांग निकले तो यह कीमत तीन से पांच वर्षों में 50 परसेंट घटा सकती है।

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Posted By: Shweta Mishra