मराठा आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी महाराष्ट्र सरकार
यूपीए सरकार ने किया था वादामराठा आरक्षण के मुद्दे पर पिछली सरकार ने चुनावों की घोषणा होने से ऐन पहले मराठों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण क्षेत्र में 16 फीसद आरक्षण देने की घोषणा की थी. इसके अलावा मुस्लिमों को भी नौकरियों व शिक्षा में पांच परसेंट रिजर्वेशन देने की बात की गई थी. लेकिन सोशल वर्कर केतन तिरोडकर, अनिल थानेकर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकर्ता डॉ. आई.एस.गिलाडा एवं यूथ फॉर इक्वलिटी नामक एनजीओ ने मुंबई हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इस पर मुंबई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहित शाह ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए इस आरक्षण को रिजेक्ट कर दिया है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि किसी राज्य में आरक्षण की सीमा कुल सीटों के 50 परसेंट से अधिक नहीं की जा सकती.महाराष्ट्र में है सबसे ज्यादा आरक्षण
मुंबई हाइकोर्ट के अनुसार राज्य में पहले ही 50 परसेंट से ज्यादा आरक्षण दिया जा रहा है. इसलिए राज्य सरकार के आदेश को लागू नही किया जा सकता. हालांकि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा पेश की गई रिपोर्ट से सहमति जताते हुए मुस्लिमों को शिक्षण क्षेत्र में पांच परसेंट रिजर्वेशन की बात पर हामी भरी है. यूपीए सरकार के अनुसार यह दोनों समुदाय आर्थिक रूप से अत्यंत पिछड़े एवं गरीब हैं इसलिए इन्हें सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण मिलना चाहिए. गौरतलब है कि महाराष्ट्र की नई सरकार हाईकोर्ट के डिसीजन से सहमत नहीं है.बीजेपी भी आरक्षण के पक्ष मेंमहाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने मराठा आरक्षण की बात को उठाया है. इसके बाद सरकार बनाने के बाद भी सीएम देवेंद्र फडऩवीस ने मराठा आरक्षण के पक्ष में होने की बात को दोहराया है. इसके साथ ही उन्होंने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कही है. गौरतलब है कि वर्तमान में महाराष्ट्र में कुल 52 परसेंट का आरक्षण है. इस कानून के पास होने के बाद कुल आरक्षण 73 परसेंट हो जाएगा.
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