अगर ट्रेलर देख कर ही फिल्म के टिकट के पैसे बच सकते हों तो ज़रूरत ही नहीं है फिल्म देखने जाने की। ऊपर से अगर फिल्म का टॉपिक महा बासी हो तो फिर कहने को रह ही क्‍या जाता है। इस हफ्ते रिलीज हुई है फिल्म लुका छिपी।

कहानी :
ट्रेलर देख लीजिए, आपको कहानी पता चल जाएगी।

रेटिंग : 2 स्टार

समीक्षा :
लिव इन कोई नई बात नहीं है, पर आज भी इस पर होने वाला बवाल बहुत बड़ा है, उस लिहाज से देखें तो लुका छिपी एक बहुत इम्पॉर्टेन्ट फिल्म है, ऐसी ही फिल्में सोसाइटी बदल सकती हैं, पर लुक्का छिपी ऐसा कुछ नहीं करती। फिल्म के प्लाट को च्युइंगम की तरह खींच कर फिल्म के राइटर्स बेहद लेजी स्क्रीनप्ले ऑफर करते हैं। फिल्म के मेन किरदार उस परिवेश के नहीं लगते जैसे उनके परिवार दिखाए हैं। कार्तिक और कीर्ति की स्टारडम उनके रोल्स पर हावी हो जाती है। ऊपर से फिल्म का मेन मुद्दा इसकी फाल्टी ट्रीटमेंट खा जाता है। फिल्म के डायलॉग फिल्म के लीड पेयर के मुँह से नकली लगते हैं। फिल्म का फर्स्ट हाफ दिशाहीन है, फिल्म में बहुत सारे सबप्लाट हैं जो यूजलेस हैं, और फिल्म की एडिटिंग भी बहुत अनइमजिनेटिव है, इनफैक्ट फिल्म की मेन विलेन इसकी खराब एडिटिंग ही है।

क्या लगा अच्छा :
सपोर्टिंग कास्ट का काम बहुत अच्छा है, अपारशक्ति खुराना, विनय पाठक, पंकज त्रिपाठी और अतुल श्रीवास्तव फिल्म की जान हैं, वही हैं जिनकी वजह से फिल्म को झेल सकते हैं। फिल्म के दो चार सीन के डायलॉग भी अच्छे लिखे हुए हैं।

 

Watch the trailer of #LukaChuppi there is a surprise.. 😍 Guess few of you already know.
Btw film looks damn good 🙌🏼 #LukaChuppiTrailer https://t.co/pGT53wWMsk

— Tony Kakkar (@TonyKakkar) January 24, 2019

अदाकारी :
कृति सैनन अपने बरेली की बर्फी के रोल के हैंगओवर में थी, खराब राइटिंग के चलते उनका रोल उनको स्टुपिड पोट्रे करता है। इसी तरह कार्तिक भी अपनी पुरानी फिल्म्स के चार्मर इमेज में फंसे हुए दिखते हैं, स्टार बनने के चक्कर मे वो किरदार को मार देते हैं।

कुल मिलाकर ये एक बेहद साधारण फ़िल्म है। बोल्ड सब्जेक्ट होने के बावजूद खराब राइटिंग फिल्म की भजिया तल देती है। अगर अच्छी रायटिंग से लुका छुपी न हुई होती तो ये इस साल की बढ़िया फिल्म्स में शामिल होती पर अफसोस !!!

Review by : Yohaann Bhaargava
Twitter : @yohaannn

Posted By: Chandramohan Mishra