अब कहां से आये उन्नाव में पुलिस लाइन के अस्पताल में सैकड़ों नरकंकाल
खड़े हुये कई सवाल
घटना को लेकर यहां पुलिस अधिकारियों के सामने भी लोगों ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिये हैं, लेकिन अधिकारी उनके सवालों का एक भी जवाब नहीं दे पा रहे हैं. वहीं मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक का कहना है कि यह पोस्टमार्टम के बाद अज्ञात शवों के सुरक्षित रखे गये अंग हैं. खबर मिलते ही भाजपा विधायक ने भी मौके पर पहुंच मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कराने और कंकालों के निस्तारण की मांग की है.
क्या है पूरा मामला
पूरे मामले पर नजर डालें तो खबर है कि महिला थाना के पास पुलिस लाइन स्थित पुलिस अस्पताल के एक कक्ष में एक सैकड़ा से ज्यादा मानव अंगों की हड्डियां रखी मिली हैं. इन अंगों में सिर से लेकर विभिन्न अंगों की हड्डियां शामिल हैं. बोरियों में बेतरतीब ढंग से भरे रखे कंकालों को देखकर लोगों में हड़कंप मच गया. मामले की भनक लगते ही पुलिस अधीक्षक एमपी ङ्क्षसह, अपर पुलिस अधीक्षक रामकिशन, सीओ सिटी गोपीनाथ सोनी के साथ मौके पर पुलिस लाइन पहुंचे. मौके पर पहुंचकर एसपी ने अस्पताल के चीफ फार्मासिस्ट बीके वर्मा को तलब किया और अस्पताल के बिसरा कक्ष में रखे कंकालों के संबंध में जानकारी ली.
क्या है अधिकारियों का कहना
उन्होंने एसपी को बताया कि वर्ष 2008 से लेकर 2012 के बीच विभिन्न थाना क्षेत्रों में अज्ञात कंकालों और शवों के पोस्टमार्टम के बाद बिसरा सुरक्षित करने के लिये मानव अंगों की यह हड्डियां रखी गई हैं. इससे जोड़कर पूरे मामले पर पुलिस अधीक्षक श्री सिंह ने बताया कि वर्ष 2008 से लेकर 2012 तक के लगभग चार सौ बिसरा सुरक्षित हैं, जिनमें एक सैकड़ा से अधिक कंकाल थे. इन कंकालों को नियमानुसार सुरक्षित करके रखा गया था. उन्होंने बताया कि पहले पोस्टमार्टम के बाद बिसरा पुलिस अस्पताल में बने बिसरा कक्ष में सुरक्षित रखे जाते थे अब पोस्टमार्टम हाउस में बने बिसरा कक्ष में रखे जाते हैं. जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने बताया कि यहां यह सवाल जरूर उठ रहा है कि बिसरा का निस्तारण क्यों नहीं किया गया. इसकी जांच भी जरूर कराई जायेगी. मौके पर पहुंचे भाजपा विधायक पंकज गुप्ता, पूर्व विधायक कृपाशंकर ङ्क्षसह एडवोकेट ने एसपी से कहा अगर यह कंकाल किसी साजिश के तहत रखे गये हैं, अगर पोस्टमार्टम के बाद रखे गये बिसरा हैं तो उनका निस्तारण अब तक क्यों नहीं किया गया.
क्या कहना है चीफ फार्मासिस्ट का
इसपर चीफ फार्मासिस्ट ने बताया कि 2012 से एक वर्ष तक जिला अस्पताल परिसर स्थित पोस्टमार्टम हाउस के बिसरा कक्ष में बिसरा रखे गये हैं. एसपी ने बताया कि 2013 से बिसरा थानों पर ही रखने का नियम लागू कर दिया गया था. परीक्षण के लिए रखे गये बिसरा में शामिल कंकालों का परीक्षण क्यों नहीं कराया गया इस सवाल पर उनका कहना था कि यह उनके कार्यकाल का मामला नहीं है, वह हाल ही में आये हैं. निस्तारण क्यों नहीं कराया गया इसकी जांच करा कर जो भी दोषी होगा, उसके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.