जिस ट्विटर हेंडल पीएमओ इंडिया @PMOIndia को लेकर भारतीय राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है उसे लखनऊ के एक 19 वर्षीय छात्र ने अनजाने में हासिल कर लिया था.


क़ैसर अली कहते हैं कि उन्हें नहीं पता है कि ये सब कैसे हो गया. लखनऊ के ये युवा बस अपने ट्विटर हैंडल को एक अच्छा नाम देना चाहते थे.क़ैसर ने बीबीसी को बताया, "मुझे नहीं पता कि मेरे मन में ये ख़्याल कैसे आया लेकिन मैंने पीएमओ इंडिया की उपलब्धता चेक की तो ये मुझे मिल गया और मैंने इसे अपने लिए सुरक्षित कर लिया."हालांकि उस समय अली को नहीं पता था कि वे हैंडलगेट में 'फँस' गए हैं. दरअसल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और नए बनने जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच इस ट्विटर हैंडल को लेकर विवाद चल रहा है.
मनमोहन सिंह ने पीएमओ इंडिया ट्विटर अकाउंट शुरू किया था जिस पर उनके दस लाख से ज़्यादा फ़ॉलोअर थे. लेकिन जब मनमोहन ने दफ़्तर छोड़ा तो उनकी टीम ने अकाउंट अगले प्रधानमंत्री के लिए छोड़ने के बजाए उसके ट्वीट्स को सुरक्षित करा लिया. पीएमओ इंडिया के खाते को पीएमओ इंडिया आर्काइव (@PMOIndiaArchive) में बदल दिया गया. इसके साथ ही इस खाते के लाखों फ़ॉलोअर भी नए खाते में चले गए.सफ़ाई


पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी ने ट्वीट के ज़रिए स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि पीएमओ इंडिया अकाउंट नए प्रधानमंत्री के लिए उपलब्ध रहेगा. उन्होंने यह भी कहा कि जो भी किया गया वह क़ानून की परिधि में है.वहीं ट्विटर का कहना है कि वह व्यक्तिगत खातों पर टिप्पणी नहीं करती है और अभी यह स्पष्ट नहीं है कि फिहलाह पीएमओ इंडिया ट्विटर खाता किसके पास है.अभी तक क़ैसर के पास गए अकाउंट से कोई भी ट्वीट नहीं किया गया है लेकिन इसके क़रीब अट्ठारह हज़ार फ़ॉलोवर बन गए हैं.क़ैसर अली का कहना है कि उनका राजनीति में जाने का कोई इरादा नहीं है.

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari