इस फिल्‍म में हीरो का नाम है 'सुश्रुत' जिसे मूवी में लोग प्‍यार या मजाक में 'सुसु' कहकर बुलाते है। ये फिल्‍म 80 और 90 के दशक की फिल्मों की सुसु ही है गरीब लड़का अमीर लड़की ज़ालिम बाप और ये फिल्‍म बनने का एक मात्र कारण हैं फिल्‍म के हीरो के साले साहब जिन्हें हम 'प्रेम' से भाई बुलाते हैं। कायदे से तो यहां फिल्‍म देखने के बाद भाई भतीजावाद यानी नेपोटिसम पे बात होनी चाहिए पर बात करते है फिल्‍म की जो सिर्फ अपने बदलते हुए नाम और मात्राओं के कारण ही चर्चा में है। आइये बताते हैं कि कैसी है ये फिल्‍म।

कहानी :
गुजरात में रहने वाले गरबा डांसर सुसु को एक 'एन आर आई' लड़की से प्यार हो जाता है और प्यार को परवान चढ़ाने के लिए हैं उसके पास हैं गरबा के नौ दिन, और फिर वही जालिम जमाना...

समीक्षा :
आपको रितिक अमीषा की आप मुझे अच्छे लगने लगे याद है? क्या खाक याद होगी, किसी को याद नहीं है। इस फिल्म की कहानी सेम वैसी ही है, और फिल्म उससे भी बुरी है। मुझे ये फिल्म देख कर ये समझ नहीं आता कि क्यों हर रिश्तेदार को लांच करने के लिए एक ही जैसी फिल्में बनाई जाती हैं। आप भूल रहे हैं कि हर फिल्म कहो न प्यार है नही हो सकती। ये फिल्म जैसा कि ट्रेलर से दिखता है आयुष शर्मा की शो रील है, दिखाया जा रहा है कि जीजाजी को फाइट आती है, नाचना आता है और हर वो काम आता है जो एक ट्रेडमार्क हिंदी फिल्मी नेपोटिसम वाला न्यूकमर करता है। फिल्म में दिल खोल के खर्च हुआ है। बड़े बड़े सेट, कॉस्ट्यूम और फॉरेन लोकेशन हैं पर फिल्म के नाम पे बस 'सुसु', कहने का मतलब है कि फिल्म इतनी सुसु सेंट्रिक है की बस वही नज़र आएंगे, और तो और इस फिल्म के दौरान आप 40 बार सुसु करने जा सकते हैं, कुछ भी मिस नहीं करेंगे। फिल्म का म्यूजिक रद्दी है और गरबे की बात करें तो वैसे भी 'हम दिल दे चुके सनम', की यादें अभी भी जेहन में हैं इसलिए इस फिल्म का गरबा भी भन्साली गुजराती मैजिक के सामने फीका है। फिल्म जितनी प्रेडिक्टेबल है, उतनी ही अझेल भी।

अदाकारी :
सिंगल एक्सप्रेशन के साथ आयुष पूरी फिल्म काट देते हैं, न तो उनमें सलमान जैसा करीजमा है और न ही वो अभी पूरी फिल्म अपने टोंड कंधों पर ढोने के लिए रेडी हैं। उनको बतौर एक्टर मैच्यूरिटी लाने की ज़रूरत है। नाच, एक्शन तो ठीक है पर ओवर एक्सआइटेड डायलॉग डिलीवरी उनपे सूट नहीं करती। डिस्काउंट 'जहान्वी कपूर' जैसी दिखती इस फिल्म की एक्ट्रेस वरिना हुसैन को देख के कई बार फीलिंग आ रही थी कि मैं 'धड़क' देख रहा हूँ। रोनित रॉय अब जालिम बाप के रोल में टाइपकास्ट हो गए हैं। फिल्म में आयुष की तर्ज पर ओवर एक्सआइटेड राम कपूर भी हैं, जो फिल्म में आयुष के लवगुरु रिश्तेदार बने हैं, बेसिकली वही रोल जो दुल्हन हम ले जाएंगे में अनुपम खेर ने जिया था।

 

Check out the super vibrant and fun-filled trailer of #LoveYatri #LoveTakesOver #LoveyatriTrailer
Releasing on October 5th
In#SRRTheater.https://t.co/TXzzSKIE4J

— Natrajcinegroup (@natrajcinemas) September 30, 2018

वर्डिक्ट :
कुलमिलाकर इस फिल्म को देखने से बेहतर है कि आप गरबा नाच आएं, क्या पता नाचते नाचते आपको वहां किसी से एक्चुली प्यार हो जाये क्योंकि फिल्म जिन प्लेक्स में लगी हुई है वहां तो आपको सोते हुए लोग ही मिलेंगे जो बीच बीच मे लाउड म्यूजिक से जाग कर सुसु करने जाते दिखेंगे।

रेटिंग : 1 STAR

Review by : Yohaann Bhaargava
Twitter : @yohaannn

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Posted By: Chandramohan Mishra