कांग्रेस पार्टी देश की बड़ी राजनैतिक पार्टियों में शामिल है। ऐसे में आइए जानें लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के दो भागों में विभाजित होने का किस्सा...

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KANPUR : जब कांग्रेस का हुआ बंटवारा 1967 तक सबसे पुरानी पार्टी ने विधानसभा चुनावों में भी कभी 60 परसेंट से कम सीटें नहीं जीती थीं। बिहार, केरल, उड़ीसा, मद्रास, पंजाब और पश्चिम बंगाल में गैर-कांग्रेसी सरकारें स्थापित हुईं। इस सब के साथ इंदिरा गांधी को, जो रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनी गईं थीं, 13 मार्च को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। असंतुष्ट आवाजों को शांत रखने के लिए उन्होंने मोरारजी देसाई को भारत का डिप्टी पीएम और फाइनेंस मिनिस्टर नियुक्त किया।

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कांग्रेस को दो भागों में विभाजित कर दिया

मोरारजी देसाई ने नेहरू की मौत के बाद इंदिरा को प्रधानमंत्री बनाए जाने का विरोध किया था। चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन ने उन्हें मुखर बनने के लिए मजबूर कर दिया और उन्होंने ऐसे लोगों का चयन किया, जिसने उन्हें कांग्रेस पार्टी आलाकमान के खिलाफ ला खड़ा किया। इसके बाद कांग्रेस ने 12 नवंबर 1969 को अनुशासनहीनता के लिए उन्हें निष्कासित कर दिया। इस घटना ने कांग्रेस को दो भागों में विभाजित कर दिया।

Posted By: Shweta Mishra