जस्टिस लोढा कमेटी ने भारतीय क्रिकेट में सुधार संबंधी अपनी रिपोर्ट को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया।


सेवानिवृत जस्टिस आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली और जस्टिस अशोक भान और रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की सदस्यता वाली समिति की रिपोर्ट पर बीसीसीआई ही नहीं, राज्य के क्रिकेट संघों के प्रमुख की नज़रें भी टिकी हैं।सवाल ये है कि लोढा समिति भारतीय क्रिकेट बोर्ड में राजनेताओं को बनाए रखने के पक्ष में है कि नहीं?1. शरद पवार- नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार का क्रिकेट से नाता काफी पुराना है। वे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं। एन श्रीनिवासन के विरोधी गुट अगुवाई भी शरद पवार कर रहे थे। वे इन दिनों मुंबई क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं।
3. राजीव शुक्ला- कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला इंडियन प्रीमियर लीग के चेयरमैन हैं। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ में भी वे कई साल से सचिव हैं, प्रदेश में क्रिकेट के सारे मसले शुक्ला ही देखते हैं।


5. फ़ारुख़ अब्दुल्ला- नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और फारुख़ अब्दुल्ला 1980 से ही राज्य क्रिकेट संघ के मुखिया रहे हैं, हालांकि बीते साल उनके विरोधी धड़े ने राज्य के मंत्री इमरान अंसारी के नेतृत्व में संघ पर काबिज होने की कोशिश की है, लेकिन अब्दुल्ला इसे गैरकानूनी बताते हुए अदालत में चुनौती दे रहे हैं।7. अमिताभ चौधरी- पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ चौधरी बीसीसीआई के संयुक्त सचिव हैं और झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। अक्टूबर, 2014 में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं।9. रंजीब बिस्वाल- ओडिशा क्रिकेट संघ के अध्यक्ष रंजीब बिस्वाल कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य हैं। रंजीब के पिता बसंत बिस्वाल कांग्रेस के नेता रहे थे और रंजीब खुद भारत की अंडर-19 टीम के लिए खेल चुके हैं।10. अब्दुल बारी सिद्दिकी- बिहार क्रिकेट संघ एक धड़े के अध्यक्ष राजद नेता और मौजूदा बिहार सरकार में वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी हैं। इस धड़े के मुखिया कभी लालू प्रसाद यादव भी रहे थे।वैसे बिहार क्रिकेट संघ की मान्यता अभी बीसीसीआई ने लंबित कर रखी है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh