गजब... अब पेंसिल और कागज से बनेगी बिजली! वैज्ञानिकों ने खोजी नई तकनीक
यूं तो Heat को बिजली में बदलने की तकनीक पहले ही विकसित की जा चुकी है, लेकिन जर्मनी की राजधानी बर्लिन में वैज्ञानिकों ने ताप या heat से बिजली बनाने का बहुत ही आसान तरीका डेवलप कर लिया है। कागज, पेंसिल और कंडक्टर पेंट का यूज करके यह कारनामा किया गया है।
क्या है ये नई टेक्नोलॉजीबिजली बनाने की यह नई टेक्नोलॉजी किसी भी चीज के थर्मोइलेक्ट्रिक इफेक्ट पर आधारित है। इसके अंतर्गत दो अलग-अलग तापमान वाली धातुओं को संपर्क में लाने से इलेक्ट्रिकल वोल्टेज पैदा किया जाता है। इससे किसी भी तकनीकी या प्राकृतिक प्रक्रिया के बाद बचे तापमान को आंशिक रूप से इलेक्ट्रिकल ऊर्जा में बदला जा सकता है। जर्मनी के Helmholtz Zentrum केंद्र में इस तकनीक को विकसित करने के बाद बर्लिन के वैज्ञानिकों का कहना है कि पावर प्लांट्स या घर में उपयोग किए जाने वाले यंत्र से निकलने वाला तापमान ज्यादातर बर्बाद ही होता है। थर्मोइलेक्ट्रिक इफेक्ट के प्रयोग से हम इस तापमान का बेहतरीन यूज कर सकते हैं।
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कागज और पेंसिल की मदद से कैसे बनाई बिजलीरिसर्चर्स ने एक छोटे से क्षेत्र को व्हाइट पेपर और ग्रेफाइट की पेंसिल से ढक दिया। फिर इस पर को-पॉलीमर पेंट लगाया गया, जो बिजली का सुचालक होता है। कागज पर पेंसिल के निशान ने उतना ही वोल्टेज पैदा किया, जो महंगे नैनो कंपोजिट्स से पैदा किया जाता है। ग्रेफाइट में इंडियम सेलेनाइड को जोडऩे से वोल्टेज बढ़ाया जा सकता है। नैनो कंपोजिट्स अलग-अलग फ्रीक्वेंसी के वोल्टेज पैदा कर सकते हैं। इस टीम के वैज्ञानिक नार्बर्ट निकेल ने बताया, इस रिसर्च के रिजल्ट हमारे लिए भी चौंकाने वाले थे। पेंसिल के निशान पेपर पर ग्रेफाइट की सतह का निर्माण करते हैं। हालांकि, इससे बिजली का चालन कम हो जाता है, लेकिन तापमान आसानी से प्रवाहित होकर वोल्टेज उत्पन्न करता है। नियर फ्यूचर में इस तकनीक का इस्तेमाल नॉन-टॉक्सिक थर्मोइलेक्ट्रिक कंपोनेंट्स जैसे तांबा आदि को पेपर पर प्रिंट करने में किया जा सकेगा। यही नहीं इन छोटे कंपोनेंट्स का यूज करके शरीर की ऊर्जा से छोटे यंत्र और सेंसर्स को चलाने में मदद मिलेगी।इंसानों को छोड़ ये कंपनी फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी से गाय-भैंसों की जिंदगी संवार रही है!