पेश किया था पहला बजट, बाद में बने पाक पीएम
सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार के वित्त मंत्री लियाक़त अली ख़ान ने दो फ़रवरी को बजट पेश किया, उसी इमारत में जिसे आज संसद भवन कहा जाता है।लियाक़त अली ख़ान मोहम्मद अली जिन्ना के ख़ासमख़ास थे। अंतरिम प्रधानमंत्री नेहरू की कैबिनेट में सरदार पटेल, भीमराव अंबेडकर, बाबू जगजीवन राम सरीखे दिग्गज भी थे।'सोशलिस्ट बजट'
अपने विवादास्पद बजट प्रस्तावों में लियाक़त अली ख़ान ने टैक्स चोरी करने वालों के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई करने के इरादे से एक आयोग बनाने का भी वादा किया।कांग्रेस में सोशलिस्ट मन के नेताओं ने इन प्रस्तावों का समर्थन किया। पर सरदार पटेल की राय थी कि लियाक़त अली ख़ान घनश्याम दास बिड़ला, जमनालाल बजाज और वालचंद जैसे हिंदू व्यापारियों के खिलाफ सोची-समझी रणनीति के तहत कार्रवाई कर रहे हैं।स्वतंत्रता आंदोलन
टाटा और गोदरेज जैसे पारसियों के समूह तब भी थे। मुस्लिम समाज से संबंध रखने वाला एक बड़ा समूह फार्मा सेक्टर का सिप्ला था। इसके संस्थापक केए हामिद थे। वे भी गांधी जी के भक्त थे। उस दौर में सिप्ला के अलावा शायद कोई बड़ा समूह नहीं था जिसकी कमान मुस्लिम मैनेजमेंट के पास हो।लियाक़त अली पर ये भी आरोप लगे कि वे अंतरिम सरकार में हिंदू मंत्रियों के खर्चों और प्रस्तावों को हरी झंडी दिखाने में खासा वक्त लेते हैं। सरदार पटेल ने तो यहां तक कहा था कि वे लियाक़त अली ख़ान की अनुमति के बगैर एक चपरासी की भी नियुक्त नहीं कर सकते।बंटवारे के बाद
स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को आर के षणमुगम शेट्टी ने पेश किया था। पर ये एक तरह से देश की अर्थव्यवस्था की समीक्षा ही थी। इसमें किसी नए टैक्स का प्रस्ताव नहीं रखा गया। कारण ये था कि 1948-49 का बजट पेश होने में मात्र 95 दिन बचे थे।