सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पर्याप्त पूछताछ के बाद पंचायत सचिव या अधिशासी मजिस्ट्रेट की ओर से जारी सर्टिफिकेट को भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र माना जा सकता है। असम में अवैध आव्रजकों की पहचान के सिलसिले में अदालत का यह फैसला बहुत अहम साबित होने वाला है। आइए जानते हैं जन्‍म प्रमाण पत्र पासपोर्ट और आधार को नागरिकता का प्रमाण क्‍यों नहीं मानते।


वंशावली के साथ सचिव का सर्टिफिकेट नागरिक पहचानजस्टिस रंजन गोगोई और आरएफ नरिमन की खंडपीठ ने मंगलवार को गुवाहाटी हाईकोर्ट का आदेश पलट दिया जिसमें नागरिकता के लिए दावा करने वाले इन सर्टिफिकेट को अवैध बताया गया था। सर्वोच्च अदालत की खंडपीठ ने अपने फैसले में यह भी कहा कि ग्राम पंचायत के सचिव की ओर से जारी सर्टिफिकेट नागरिकता का सुबूत तभी हो सकता है जबकि उसके साथ परिवार की वंशावली का भी विस्तृत ब्योरा हो। विगत 22 नवंबर को सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि ग्राम पंचायत की ओर से जारी निवासी होने का सर्टिफिकेट नागरिकता का दस्तावेज नहीं है। नागरिकता के राष्ट्रीय रेजिस्टर (एनआरसी) के संदर्भ में इसका कोई अर्थ नहीं अगर इसके समर्थन में कोई अन्य वैध दस्तावेज न लगाया जाए। आज सरकार ने पाक सिंगर अदनान सामी को दी भारतीय नागरिकता
आधार, बर्थ सर्टिफिकेट और पासपोर्ट नहीं हैं वैलिड


बांबे हाईकोर्ट के एक फैसले के मुताबिक बर्थ सर्टिफिकेट, पासपोर्ट और आधार कार्ड अकेले भारत की नागरिकता के पहचान के दस्तावेज नहीं हो सकते। इस फैसले के मुताबिक पासपोर्ट, आधार और बर्थ सर्टिफिकेट के साथ अन्य लीगल दस्तावेज दिखाना जरूरी होता है। ताकि यह साबित हो सके कि नागरिकता का दावा करने वाला शख्स भारत का वास्तविक निवासी है। नागरिकता के कानून के अनुसार 1 जुलाई, 1987 के बाद भारत में पैदा हुआ कोई भी भारत का नागरिक तभी हो सकता है जब उसके माता-पिता में कोई एक भारतीय नागरिक हों। 26 जनवरी, 1950 से लेकर 1 जुलाईख् 1987 से पहले भारत में पैदा हुआ हर व्यक्ति स्वत: भारतीय नागरिक हो जाता था।ब्रिटिश नागरिकता मामले में राहुल गांधी को संसद से नोटिस

Posted By: Satyendra Kumar Singh