वो डॉक्टर बनने के लिए नाचती है...
ममता बिहार के सोनपुर पशु मेले में लगने वाले थिएटर में नाचती हैं।वह बीते साल भी यहां आई थीं। उसके पिता की मौत हो चुकी है और मां नर्स हैं। लेकिन बीमार रहती हैं। ऐसे में घर चलाने की ज़िम्मेदारी ममता पर है। ममता कोलकाता के एक स्कूल में बाहरवीं में पढ़ती हैं।
श्वेता पिछले पांच साल से सोनपुर मेले में आ रही हैं। मैं जब उनसे मिली तो उन्होंने हाथ जोड़कर नमस्कार किया। उसकी पांच बहनें हैं। वो बताती हैं कि घर के हालात के चलते पढ़ाई 10 वीं में ही छोड़ दी। पहले एक कंपनी में काम किया, लेकिन घर नहीं चला पाई तो थिएटर में नाचने लगी।
दिलचस्प है कि थिएटर की शुरूआत और अंत दोनों ही भगवान के भजन से होता है। शाम के छह बजते-बजते मेले में लगे ग्यारह थिएटरों से भोजपुरी गीतों की आवाज़ माहौल में अजीब घालमेल पैदा करना शुरू कर देती है। ये लड़कियां 6 बजे से ही स्टेज पर खड़ी हो जाती हैं और रात बारह बजे तक समूह में नाचती रहती हैं।इसके साथ ही थिएटर वाले अपने अपने रेट्स को भी अनांउस करते रहते है। सुपर वीआईपी सीट से लेकर स्पेशल सीट तक। इनके टिकट की क़ीमत एक हज़ार से लेकर दौ सौ रुपए तक है।तक़रीबन छह घंटे समूह में नाचने के बाद रात बारह बजे से सोलो परफ़ॉरमेंस शुरू होता है, जो सुबह चार बजे तक चलता है।