लीबिया ने अपने सभी रासायनिक हथियारों को नष्ट करने का दावा किया है.


लीबिया के विदेश मंत्री मोहम्मद अब्देलअज़ीज़ ने कहा कि नष्ट किए गए हथियारों में बम और तोपगोले भी शामिल हैं जिनमें मस्टर्ड गैस भरी हुई थी.साल 2004 में लीबिया ने कहा था कि उसके पास क़रीब 25 टन सल्फ़र मस्टर्ड गैस और कुछ हज़ार ऐसे बम हैं जिसका इस्तेमाल रासायनिक युद्ध में किया जा सकता है.लीबिया ने कैमिकल वैपंस कनवेंशन (सीडब्ल्यूसी) पर हस्ताक्षर करके  रासायनिक हथियारों से मुक्ति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है.अब्देलअज़ीज़ ने मंगलवार को राजधानी त्रिपोली में कहा, "लीबिया रासायनिक हथियारों से पूरी तरह मुक्त हो गया है जिनसे स्थानीय समुदायों, पर्यावरण और आसपास के क्षेत्रों को ख़तरा हो सकता था."उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग के बिना इसे इतने कम समय में कर पाना संभव नहीं था. इसमें कनाडा, जर्मनी और अमरीका से मिला तकनीकी सहयोग भी शामिल है.महत्वपूर्ण पड़ाव


"अंतरराष्ट्रीय सहयोग का यह एक अच्छा उदाहरण है, जिसका सीरिया व्यापक स्तर पर अनुकरण कर रहा है."-अहमत उज़ूमकू, ओपीसीडब्लू के प्रमुखअब्देलअज़ीज़ ने कहा कि रासायनिक हथियारों को नष्ट करने की प्रक्रिया 26 जनवरी को पूरी हुई थी.अब्देलअज़ीज़ ऑर्गेनाइज़ेशन फ़ॉर प्रोहिबिशन ऑफ़ कैमिकल वैपंस (ओपीसीडब्ल्यू) के प्रमुख अहमत उज़ूमकू के साथ साझा प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे.

उज़ूमकू ने रुवागा का दौरा किया जहाँ पिछले सप्ताह रासायनिक हथियारों को नष्ट किया गया. उन्होंने इसे लीबिया के लिए एक 'महत्वपूर्ण पड़ाव' बताया.उन्होंने कहा, "अंतरराष्ट्रीय सहयोग का यह एक अच्छा उदाहरण है जिसका  सीरिया भी पालन कर रहा है."रासायनिक हथियारों को नष्ट करने की यह प्रक्रिया दस साल पहले लीबिया के नेता कर्नल मुअम्मर गद्दाफ़ी के समय में शुरू हुई थी जब लीबिया सीडब्ल्यूसी का हिस्सा बना था.गद्दाफ़ी की सरकार ने 54 फ़ीसदी घोषित मस्टर्ड गैस और 40 फ़ीसदी रसायनों को नष्ट करने में सफलता हासिल की थी लेकिन फ़रवरी 2011 में इन हथियारों को नष्ट करने वाले सेंटर ने काम करना बंद कर दिया था.उसी साल गद्दाफ़ी को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था और देश के नए शासकों ने  ओपीसीडब्ल्यू के पर्यवेक्षकों को अघोषित रासायनिक हथियारों के जखीरे के बारे में जानकारी दी थी.विनाश के हथियारविनाशकारी रासायनिक हथियारों को नष्ट करने को लीबिया के लिए महत्वपूर्ण पड़ाव बताया जा रहा है.ओपीसीडब्ल्यू का कहना है कि लीबिया के रासायनिक हथियार 'कैटेगरी वन' में आते हैं.

संगठन के मुताबिक़ अतीत में इस तरह के भंडार का इस्तेमाल रासायनिक हथियार के रूप में किया गया और इनका बेहत सीमित शांतिपूर्ण इस्तेमाल है और इससे कैमिकल वैपंस कनवेंशन को सीधा ख़तरा है."संगठन ने बताया कि दूसरी श्रेणी के रसायनों को लीबिया दिसंबर 2016 तक समाप्त करेगा.ऐसे रसायनों को जहरीले रसायनों के निर्माण में उपयोग किया जाता है. इनमें से कुछ रसायनों का औद्योगिक उपयोग भी होता है.ओपीसीडब्ल्यू एक स्वंतत्र अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करती है.

Posted By: Subhesh Sharma