Leap Day 2020 Calculator: How do we calculate leap year: जिस साल में फरवरी 29 दिन की हो उसे लीप ईयर कहा जाता है। यह बात तो शायद हम सभी जानते हैं लेकिन यह बात कैसे पता चलेगी कि अगला लीप ईयर कौन सा होगा यही जानने का आसान तरीका आगे पढि़ए।

कानपुर। Leap Day 2020 Calculator: How do we calculate leap year: साल 2020 का साल लीप ईयर है, तभी तो हम सब फरवरी के महीने में 28 की बजाय 29 दिन ऑफिस या फिर कॉलेज जा रहे हैं। 29वां दिन Leap Day कहा जाता है। अब पहला सवाल, ऐसा क्‍यों हुआ। ब्रिटानिका के मुताबिक ईजी तरीके से समझें तो कहा जा सकता है कि हमारे कैलेंडर और धरती की भौगोलिक ऋतुएं (Season) एक दूसरे के साथ तालमेल में रहें, इसके लिए ही कैलेंडर में लीप डे जोड़ना जरूरी हो जाता है। लीप ईयर न होने पर कुछ सदियों के अंतराल में मौसम और कैलेंडर के महीनों के बीच बड़ा गैप आ जाएगा। यानि ऐसा भी हो सकता है कि जून महीने में पूरी दुनिया में भीषण सर्दी पड़ रही हो, या फिर जनवरी में भयंकर गर्मी का मौसम हो।

कैलेंडर के महीने और ऋतुओं के तालमेल को ऐसा किया गया ठीक

नासा की एक वेबसाइट spaceplace.nasa.gov बताती है कि धरती को सूरज का एक चक्‍कर पूरा करने में 365 दिन और करीब 6 घंटे लगते हैं, जबकि कैलेंडर में सिर्फ 365 दिन ही काउंट होते हैं। अब लोग कहेंगे कि एक साल में 6 घंटे की क्‍या बड़ी अहमियत है। तो बता दें कि अगर ये 6 घंटे कैलेंडर से हमेशा के लिए हटा दिए जाएं तो कई सदियों बाद हमारे कैलेंडर मंथ और ऋतुओं में बहुत बड़ा अंतर आ जाएगा। यानि कैलेंडर का महीना कुछ होगा और धरती का सीजन कुछ और। इससे तो कैलेंडर का सिस्‍टम ही चौपट हो जाएगा। बस यही वजह है कि 3 साल तक काउंट न किए गए (6+6+6+6= 24 घंटे यानि 1दिन) समय यानि 1 दिन को एक साथ चौथे साल में जोड़ दिया जाता है। ऐसा करने से कैलेंडर का गणित बिल्‍कुल सही बना रहता है। एक और बात, फरवरी महीने में ही लीप डे जोड़ने के पीछे वजह यह है कि ऐसा करने से बाकी किसी महीने के दिनों का सिस्‍टम नहीं बिगड़ता, सिर्फ फरवरी में 28+1=29 दिन हो जाते हैं।

Leap Year 2020 Q&A: लीप ईयर के बारे में इतनी मजेदार बातें नहीं जानीं, तो क्‍या जाना

Leap Year Essays Ideas: लीप ईयर है इतना खास कि इसके बारे में लिखते-लिखते घूम जाएगी पूरी दुनिया

Leap Year Calculator

लीप ईयर जानने का सबसे आसान तरीका यह है कि हर वर्ष अंक जैसे 2020 को 4 से डिवाइड करो, जिस वर्षअंक को विभाजित करने पर कोई शेष या दशमलव नंबर न आए, वो वर्ष लीप ईयर होगा।

उदाहरण के लिए 2021 को 4 से डिवाइड करने पर रिजल्‍ट आता है 505.25, यानि यह साल लीप ईयर नहीं हो सकता। जब हम 2024 को 4 से डिवाइड करते हैं, तो रिजल्‍ट आता है 506, अब यह साल लीप ईयर होगा। इस तरीके से आसानी से पता कर सकते हैं कि कौन सा साल लीप ईयर है और कौन सा नहीं। इस हिसाब से 21वीं सदी में लीप ईयर होंगे 2024, 2028, 2032, 2036, 2040, 2044 और आगे यही सिलसिला चलता रहेगा। इस लॉजिक से 2044 के बाद हर चौथा साल लीप ईयर होना चाहिए। पर यहां एक और बात ध्‍यान देने की है कि शताब्‍दी वर्ष यानि 2200 लीप ईयर नहीं होगा, जबकि साल 2000 लीप ईयर था। इसके पीछे का फॉर्मूला यह है कि जो शताब्‍दी वर्ष 4 नहीं बल्कि 400 अंक से पूरी तरह विभाजित हो जाए, वही लीप ईयर होगा। जब (2200/400=5.5) 400 से पूरी तरह विभाजित नहीं होता है, तो वो लीप ईयर नहीं होगा।

ऑफिस लाइफ से लेकर मौसम की रफ्तार तक सबकुछ बदल देता है Leap Day 2020

फाइनली हम कह सकते हैं कि हर चौथा साल लीप ईयर नहीं होता, क्‍योंकि शताब्‍दी वर्ष के मामले में नियम बदल दिया गया है। शताब्‍दी वर्ष को 400 से विभाजित करने का नियम एक खास वजह से लगाया। नासा बताता है कि धरती सूरज का चक्‍कर लगाने में बिल्‍कुल सही 365 दिन 5 घंटे, 46 मिनट और 48 सेकेंड लेती है। ऐसे में 365 दिन के बाद बचे हुए 6-6 घंटे चार साल में लीप ईयर द्वारा एडस्‍ट हो जाते हैं, लेकिन ऐसा करने से करीब 13-14 मिनट का समय हर साल में अधिक जुड़ जाता है। तभी तो शताब्‍दी वर्ष को 400 से डिवाइड करके उस बढ़े हुए अंतर को ठीक किया जाता है।

Posted By: Chandramohan Mishra