गांधी परिवार के लिए भी आसान नहीं रहा कांग्रेस का अध्यक्ष बनना, नेहरू से सोनिया तक सबको मिली चुनौती
आजाद से लेकर पटेल तक सबने किया था नेहरू का विरोधजब साल 1946 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होने थे तब मौलाना आजाद भी इस चुनाव में भाग लेने के साथ प्रधानमंत्री बनने के इच्छुक थे। लेकिन महात्मा गांधी ने उन्हें साफ़ तौर पर चुनाव लड़ने से मना कर दिया और कहा वो जवाहरलाल नेहरू के साथ हैं। इतनी ही नहीं देश के 12 राज्यों ने सरदार पटेल को कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के साथ देश का पहला प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन बाद में महात्मा गांधी ने पटेल से अनुरोध कर अपना समर्थन नेहरू को देने के लिए कहा और तब पटेल इस बात के राजी भी हो गए थे।
यूं तो को राजीव गांधी को राजनीति का बहुत ज्ञान नहीं था और उनकी इसमें कोई रूचि भी नहीं थी। लेकिन उनके भाई संजय गांधी के असामयिक मौत के बाद इंदिरा गांधी जबरदस्ती राजीव को राजनीति में लेकर आईं थीं। बता दें कि कांग्रेस में किस कदर वंशवाद हावी रहा है इसका उदाहरण 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देखने को मिला। उस समय राजीव गांधी को प्रधानमंत्री के साथ पार्टी का अध्यक्ष भी बना दिया गया। लेकिन राजीव को पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री बनाये जाने पर प्रणब मुखर्जी ने इसका खुलकर विरोध किया था।