Uniform Civil Code पर अब 28 जुलाई तक दे सकेंगे सुझाव, क्याें छिड़ी इस पर बहस यहां समझें
नई दिल्ली (एजेंसी)। Uniform Civil Code : ला कमीशन ने यूनिफार्म सिविल कोड (यूसीसी) पर जनता के लिए अपने सुझाव भेजने की डेडलाइन बढ़ा दी है। इस तरह से कोई भी इच्छुक व्यक्ति, संस्था या संगठन 28 जुलाई तक आयोग की वेबसाइट पर यूसीसी पर टिप्पणियां दे सकता है। 14 जून को, कानून पैनल ने यूसीसी पर संगठनों और जनता से प्रतिक्रिया मांगी थी। जवाब दाखिल करने की एक महीने की समय सीमा शुक्रवार को समाप्त हो गई, जिसके बाद इसे बढ़ा दिया गया। यूनिफार्म सिविल कोड के सबजेक्ट पर पब्लिक के जबरदस्त रिस्पांस और कमेंट को देखते हुए इसकी डेडलाइन दो सप्ताह बढाने का यह फैसला लिया गया है।
यूनिफार्म सिविल कोड क्या है
'यूनिफार्म सिविल कोड' का जिक्र भारत के संविधान के भाग 4, आर्टिकल 44 में किया गया है। आर्टिकल 44 कहता है, "राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा। एक नेशनल सिविल कोड जो सभी पर समान रूप से लागू होता है, उसे "यूनिफार्म सिविल कोड" कहा जाता है। इसमें कहा गया है कि समाज के सभी वर्गों, उनकी धार्मिक मान्यताओं से इतर, इस नेशनल सिविल कोड के तहत समान व्यवहार किया जाएगा। इसके तहत विवाह, तलाक, समर्थन, विरासत, गोद लेने और संपत्ति उत्तराधिकार जैसे विषय शामिल हैं।
भारत में टीवी डिबेट से लेकर सोशल मीडिया सभी जगह यूनिफार्म सिविल कोड पर जोरदार बहस जारी है। जब सभी धर्म समान कानूनों के अधीन हों तो धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार और समानता के अधिकार के बीच संतुलन बनाना बड़ी चुनौती होगी। यदि यूसीसी "धर्मनिरपेक्ष नागरिक कानूनों का एक ही सेट" लागू किया जाता है, तो नागरिकों का उनके धर्म या जातीयता के आधार पर विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों को प्रयोग करने का अधिकार समाप्त हो सकता है। ऐसे ही पेचीदा मामलों को देखते हुए सरकार यूनिफार्म सिविल कोड पर हर तरह के ज्यादा से ज्यादा से सुझाव इक्ट्ठा करना चाह रही है, तभी इसकी समय सीमा बढ़ाई गई है।