बॉलीवुड का पुराना फंडा पाकिस्तान और भारत के ख़ुफ़िया विभाग रॉ और आई एस आई पर कई फिल्में हम पहले ही देख चुके हैं। अब फिर वही पुराना राग अलाप लेकर कुणाल कोहली भी आये हैं। थ्रिलर के साथ हनी ट्रैप दिखाने की कोशिश है। लेकिन सबकुछ दिखाने के चक्कर में निर्देशक कुछ भी सही से नहीं दिखा पाते हैं।पढ़ें पूरा रिव्यु

फिल्म : लाहौर कांफिडेंशियल
निर्देशक कुणाल कोहली
कलाकार- ऋचा चड्ढा,अरुणोदय सिंह,करिश्मा तन्ना,और अन्य
रेटिंग : ढाई

क्या है कहानी
फिल्म की कहानी हनी ट्रैप के हवाले से दिखाने की कोशिश की गई है। ज़माने पहले वाले कांस्पेट है। महिला एजेंट के जरिया पाकिस्तान की ख़ुफ़िया जानकारी निकालना तो दूसरी तरफ आइएसआई की कोशिश है कि वह अपने पुरुष जासूस के ज़रिए भारतीय दूतावास की महिला अधिकारी को अपनी जाल में फंसा ले। अनन्या (ऋचा चड्डा ) भारत से हैं, जो पाकिस्तान भेजी जाती है। वह एक इमोशनल लड़की है और इन सारी बातों से अनजान हैं। वह तो शायरी पसंद लड़की है। वह दूतावास में एक मीडिया अटैची के रूप में काम करती है। उसके साथ पाकिस्तान में क्या होने वाला है, इसके बारे में उसे कुछ भी पता नहीं है। पाकिस्तान में उसकी मुलाक़ात एक लड़के से होती है, जिसका नाम रउफ (अरूणोदय सिंह) है। मुश्किलें तब बढ़ती हैं, जब दोनों प्यार में पड़ते हैं। लेकिन क्या यह वीर जारा वाली प्रेम कहानी है या फिर सिर्फ धोखाधड़ी, यही से कहानी में ट्विस्ट आते हैं। क्या प्यार जीतता है या फिर प्यार की आड़ में एक मासूम से लड़की के साथ खिलवाड़ होता है। यह सबकुछ बेहद सतही तौर पर प्रस्तुत करने की नाकाम कोशिश निर्देशक ने की है।

क्या है अच्छा
कलाकारों की मेहनत दिखती है, लेकिन कमजोर कहानी उनकी मेहनत के साथ न्याय नहीं करती। इस फिल्म की खूबी है कि भारत-पाकिस्तान के मुद्दे होने के बावजूद यह देशभक्ति की बयानबाजी से कोसों दूर है। बेवजह की भाषणबाजी या दिखावटीपन नहीं है। कैमरा वर्क अच्छा है।

क्या है बुरा
वही पुराना अलाप भारत-पाकिस्तान। न जाने इन विषयों से कब मुक्ति मिलेगी। कहानी कुछ हद तक एंगेजिंग हैं, लेकिन क्लाइमेक्स आते-आते ढेर हो जाती है और फिल्म का प्रभाव कमजोर हो जाता है। और निर्देशक के कॉन्फिडेंस की दाद देनी होगी। फिल्म ऐसे मोड़ पर खत्म होती है, जैसे अगला सीक्वल भी आएगा, जबकि इस कहानी में ऐसा दम नहीं कि इसकी दूसरी कड़ी बने।

अभिनय
अरुणोदय सिंह ने अच्छा काम किया है। उन्होंने इमोशनल और सीरियस दोनों किरदारों को अच्छी तरह निभाया है। ऋचा ने भी सशक्त अभिनय किया है। करिश्मा तन्ना ने अपने किरदार के साथ अच्छा न्याय किया है। वह प्रोमिसिंग लग रह हैं। शेष किरदारों के लिए कुछ खास करने को था ही नहीं।

वर्डिक्ट
दर्शकों को आकर्षित करने में नाकामयाब रहेगी।

Review By: अनु वर्मा

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari