धूप से परेशान महिला शिक्षक ने लगाई फांसी
3 सालों से महिला थी सनबर्न से परेशानसुनगढ़ी के कृष्णलोक कॉलौनी निवासी राजेंद्र गुलाटी पेशे से प्राईवेट कर्मी है। राजेन्द्र की पत्नी नीता गुलाटी संतोषपुरा स्थित जूनियर हाईस्कूल में टीचर हैं। राजेन्द्र का बेटा आयुष गुड़गांव में नौकरी करता है वहीं बेटी अलीशा नोयडा से पढ़ाई कर रही है। पति राजेन्द्र ने बताया कि नीता पिछले तीन सालों से सनबर्न नाम की स्किन डिजीज की बीमारी से परेशान थी। नीता का इलाज चल रहा था। राजेन्द्र ने बताया रविवार को वह क्रिकेट खेलने गए थे। दोपहर में 2 बजे जब वह घर लौट कर आए तो पत्नी नीता को फॉसी पर झूलता पाया। कंट्रोल रूम की सूचना पर पहुंची पुलिस ने नीता के शव को उतारा। तब तक दम घुटने के कारण नीता की मौत हो चुकी थी। पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
सुसाइड नोट में बताया बीमारी को मौत की वजह
नीता ने जिस कमरे में फांसी लगाई वहां से पुलिस को एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है। उसमें लिखा था सॉरी लेकिन मैं क्या करूं अपनी बीमारी से बहुत परेशान हूं। आयुष अलीशा अपना ध्यान रखना और पापा का भी। राजेन्द्र ने बताया कि उनके घर में किसी तरह की कोई समस्या नहीं थी। 1999 में नीता का विशिष्ट बीटीसी के पहले बैच में चयन हुआ था। पिछले तीन साल से वह सनबर्न से परेशान थी। लगातार इलाज चलने के बाद भी बीमारी ठीक नहीं हो रही थी। जिसके कारण नीता डिप्रेशन में रहा करती थी। बेटे आयुष ने बताया कि मां स्किन की बीमारी को लेकर परेशान रहती थीं। पिछले कुछ दिनों से फोन पर बात करने के दौरान भी हताश रहती थीं। मैने मां को समझाया भी था कि बीमारी को लेकर इतना परेशान न हुआ करें पर वो कोई जवाब नहीं देती थीं। हमें अंदाजा भी नहीं था कि मां इस बीमारी से परेशान होकर सुसाइड जैसा कदम उठा सकती हैं।पुलिस कर रही है मामले की जांचसुनगढ़ी कोतवाली प्रभारी अतुल प्रधान ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। मौके से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। जिसमें बीमारी को सुसाइड की वजह बताया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हैंगिंग है आई हैं। बिसरा को सुरक्षित कर विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा जाएगा। मामले की जांच एसओ राहुल पुंडहर कर रहे हैं। सीओ सिटी यशवीर सिंह ने बताया कि मामला संर्दधि नहीं है क्यो कि महिला ने सुसाइड नोट में बीमारी का जिक्र किया है। क्या है सनबर्न
डॉक्टर निशीथ साहू ने बताया कि स्िकन पर सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों के प्रति एक्सपोजर से त्वचा का डैमेज होना सनबर्न कहलाता है। इसमें त्वचा लाल रंग की हो जाती है। हल्का दर्द महसूस होने के साथ छूने पर गर्म मालूम होती है।इसके अलावा सूजन, छाले, कंपकंपी वाला बुखार, मितली और थकावट आदि होती है। उन्होंने बताया कि सनबर्न का मेडिकल साइंस में बेहतर इलाज है। जब तेज गर्मी में स्किन धूप के कांटेक्ट में आती है तो झुलसकर काली पड़ जाती है। सूर्य की अल्ट्रा वॉयलेट किरणें स्किन में मौजूद मेलानिन तत्व नष्ट कर देती है। इसकी वजह से स्किन सांवली या काली हो जाती है।इस तरह करें बचावडॉ. निशीथ साहू ने बताया कि सनबर्न से बचाव के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। तेज धूप में स्किन को ढंक कर रखें।जब भी घर से बाहर धूप में निकलें, छाता जरूर ले लें।घर से निकलने के पहले ठंडा पानी या नींबू पानी पी लें। इससे शरीर में नमी बनी रहती है। साथ ही चेहरा, पीठ, गर्दन, हाथ और पैर आदि पर सनस्क्रीन लोशन लगाएं।