कई मायनों में खास था नीतीश का शपथ ग्रहण आइए जानें क्यों
चार बार बिहार के मुख्यपमंत्री बनने के साथ तोड़ा मोदी का भी रिकॉर्ड
नीतीश कुमार ने जैसे ही मुख्यमंत्री के पद एवं गोपनीयता की शपथ ली, वैसे ही उन्होंने बिहार में एक नया रिकॉर्ड बना दिया. प्रदेश के सियासी इतिहास में इस पद के लिए अब तक चार बार किसी भी नेता ने शपथ नहीं ली है. वैसे मुख्यमंत्री के रूप में देश में सर्वाधिक पांच बार पद संभाल के ज्योति बसु ने वेस्ट बंगाल में यह रिकार्ड बनाया है. देश में ऐसे दो नाम और भी हैं, जिन्होंने चार बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है, लेकिन बिहार में नीतीश ने यह कीर्तिमान पहली बार बनाया है. इतना ही नहीं चौथी बार शपथ लेकर नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पीछे छोड़ दिया है, क्योंकि मोदी के नाम बतौर मुख्यमंत्री यह रिकार्ड सिर्फ तीन बार का ही है. गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी 2002 से 2014 के बीच तीन बार सत्ता संभाल चुके हैं. देश भर में चार या इससे ज्यादा बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नेताओं में ज्योति बसु के अलावा मोहनलाल सुखाड़िया और गेगांग अपांग के नाम भी शामिल हैं. अरुणाचल प्रदेश में गेगांग अपांग भी नीतीश की तरह चार बार सत्ता संभाल चुके हैं. जबकि देश में तीन बार सत्ता संभालने वाले हालिया समय के कुछ बड़े नेताओं में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और उड़ीसा के नवीन पटनायक भी शामिल हैं.
नीतीश कुमार तब से अब तक
3 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 तक
24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010
26 नवंबर 2010 से 20 मई 2014
22 फरवरी 2015 से दोबारा सत्ता में
ये हैं सबसे ज्यादा बार मुख्यामंत्री बनने वाले नाम
ज्योति बसु - वेस्ट् बंगाल (पांच बार 1977 से 2000 तक)
मोहनलाल सुखाड़िया- राजस्थान (चार बार 1954 से 1971 तक)
गेगांग अपांग - अरुणाचल प्रदेश (1980 से 1999 तक)
नीतीश कुमार - 3 मार्च 2000, 24 नवंबर 2005, 26 नवंबर 2010 से 20 मई 2014 तक और अब दोबारा 22 फरवरी 2015 को वापस मुख्यमंत्री बने, (बीच में नौ महीने के लिए जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया गया था).
सहयोगियों में से कोई भी नहीं शामिल हुआ मंत्रीमंडल में
जीतन राम मांझी को हटरने के लिए नीतीश के सर्पोट में कई बड़े राजनीतिक दल आगे रहे थे लेकिन इनमें से किसी ने इसके बदले में मंत्रीमंडल में कोई पद नहीं मांगा. जदयू के सहयोगी दलों राजद, कांग्रेस व माकपा के सरकार में शामिल होने से इन्कार करने के बाद नीतीश कुमार ने अपने साथ ही बड़े मंत्रिमंडल को शपथ दिलाई. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी द्वारा हटाए गए पार्टी के सभी 22 मंत्रियों को दोबारा पद दिया.
समारोह में पिछले एक माह से नीतीश कुमार के लिए चुनौतियां खड़ी करने वाले जीतन राम मांझी भी उपस्थित थे. उनके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, वेस्ट् बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, इंडियन नेशनल लोक दल के अभय चौटाला एवं दुष्यंत चौटाला, समाजवादी पार्टी के शिवपाल यादव, भाजपा से बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी आदि शामिल हुए. पूर्व राज्यपाल मोती लाल वोरा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का शुभकामना पत्र लेकर समारोह में शरीक हुए. गौरतलब है कि 63 वर्षीय नीतीश कुमार ने गत वर्ष लोकसभा चुनाव में जदयू की करारी हार के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
ये है नीतीश का मंत्रिमंडल
1. विजय कुमार चौधरी, 2. बिजेंद्र प्रसाद यादव, 3. रमई राम, 4. दामोदर रावत, 5. नरेंद्र नारायण यादव, 6. प्रशांत कुमार शाही, 7. श्याम रजक, 8. अवधेश प्रसाद कुशवाहा, 9. लेशी सिंह, 10. दुलाल चंद्र गोस्वामी, 11. राजीव रंजन सिंह, 12. श्रवण कुमार, 13. राम लषण राम रमण, 14. रामधनी सिंह, 15. जय कुमार सिंह, 16. मनोज कुमार सिंह, 17. जावेद इकबाल अंसारी, 18. बीमा भारती, 19. रंजू ग, 20. बैद्यनाथ सहनी, 21. नौशाद आलम, 22. विनोद प्रसाद यादव
दिनभर उपवास पर रहे मांझी
नीतीश कुमार और जदयू नेताओं के व्यवहार से हर्ट हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी संडे को दिनभर उपवास पर रहे. इस दौरान अपने कार्यों को निपटाया और शाम पांच बजे राजभवन में आयोजित मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में भी शरीक हुए. पूरे समारोह के दौरान मांझी बिल्कुल अकेले दिखे. किसी मंत्री, विधायक या बड़े नेता ने उनके साथ बात करने या समय बिताने की कोशिश नहीं की. नीतीश कुमार ने मांझी को कुर्सी पर बिठाकर महादलित कार्ड चला था, लेकिन जीतन राम उनकी मंशा से विपरीत चलने लगे और पार्टी ने उन्हें निकाल दिया. काफी जद्दोजहद के बाद गत 20 फरवरी को मांझी ने इस्तीफा दिया और नीतीश को कुर्सी वापस मिल सकी.