पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर अपने ऊपर होने वाले खर्च का भी ऐसे रखते थे हिसाब, जानें ये 7 खास बातें
लालबहादुर का सरनेम श्रीवास्तव देशभक्ति और ईमानदारी के प्रतीक माने जाने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में जन्में थे। प्रधानमंत्री के रूप में सिर्फ शास्त्री जी ने 18 महीने भारत की सत्ता संभाली थी। लालबहादुर का सरनेम श्रीवास्तव था।
देशवासियों के लिए खुद का जीवन समर्पित करने वाले लालबहादुर शास्त्री को अपने पदों को लेकर कभी लालच नहीं रहा। शास्त्री जी अपने शरीर पर होने वाले खर्च का भी हिसाब रखते थे। उनको लगता था कि जो उन पर खर्च हो रहा है कि उससे कितने देशवासियों को फायदा होगा।
भारत पाक युद्ध के समय देश भुखमरी के दौर से गुजरने लगा था। इस दौरान उन्होंने अपने घर की काम वाली बाई को और बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने वाले टीचर को भी मना कर दिया था। इसके अलावा हर देशवासी से सप्ताह में एक दिन उपवास रखने का भी आग्रह किया था। इनकी मौत पर उठे कई सवाल युद्ध के बाद 1966 में पाकिस्तान के साथ शांति समझौता के लिए शास्त्री जी ताशकंद गए थे। यहां पर 11 जनवरी को इनका निधन हो गया था। इनकी मौत को लेकर कई बड़े सवाल उठे थे। लालबहादुर शास्त्री को मरणोपरांत भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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