कहते हैं कि अगर इंसान का जज्‍बा मजबूत हो तो वह कुछ भी कर सकता है। यहां तक कि वह आग से भी खेल सकता है। जी हां कोलकाता के रहने वाले बिपिन गनत्रा इसका बड़ा उदाहरण है। वह करीब 40 सालों से आग का पीछा करके हजारों लोगों की जान बचा चुके हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि वह आग का पीछा कैसे करते हैं। ऐसे में आइए आज इस इंटरनेशनल फायरफाइटर्स डे पर पढ़ें बिपिन गनत्रा के इस खतरनाक सफर के बारे में...


पद्मश्री अवॉर्ड मिल चुकाकोलकाता के रहने वाले बिपिन गनत्रा एक फायरफाइटर है। हालांकि आपको यहां पर यह जानकर हैरानी होगी कि वह पेशेवर फायरमैन नहीं है। उनकी उम्र करीब 59 साल हो चुकी है। उम्र के इस पड़ाव पर भी इनके इरादे बुलंद हैं। वह आज भी कोलकाता में कहीं भी आग लगती है तो वह वहां तुरंत पहुंच जाते हैं। जिसकी वजह से आज वहां पर लोग उन्हें सिटी ऑफ फायर भी बुलाते हैं। बिपिन गनत्रा लगतार 40 सालों से आग बुझाने का काम करते आ रहे हैं। इस नेक काम के लिए उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड भी मिल चुका है। गनत्रा हृदय रोगी
आपको जानकर हैरानी होगी कि बिपिन गनत्रा हृदय रोगी है। उन्हें चिकित्सक आराम करने की सलाह दे चुके है। भीड़ और धुंआ आदि से भी दूर रहने को कह चुके हैं लेकिन वह फिर भी आग वाली जगहों पर पहुंचते हैं। इसके पीछे उनका कहना है कि उन्हें अहसास है कि जिस समय आग लगने वाले हादसे होते हैं उस दौरान फायरफाइटर्स पर बेहद दबाव होता है। वहीं उस समय आग में फंसे हर व्यक्ति को बचाव की दरकार होती है। ऐसे में वह वहां पर पहुंचकर लोगों को बचाते हैं। इस दौरान उनके शरीर का हाव-भाव बदल जाता है। प्रमाण पत्र मिल चुकेबिपिन गनत्रा ने अपनी लाइफ में जूट बेचने से लेकर बिजली मिस्त्री तक का काम किया है। वहीं वह जब आग बुझाने जाते हैं तो वह उस खाकी वर्दी को पहनते हैं। जो उन्हें एक बार अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी ने तोहफे में दी थी। इसके अलावा वह अपना पीले रंग का प्लास्टिक का हैट पहनने के साथ ही सेफ्टी टॉर्च भी लेते हैं। बिपिन गनत्रा को एक मैटेलिक वालेंटियर आईडेंटिटी कार्ड भी एक पूर्व मंत्री के हाथों मिल चुका है। अब तक उन्हें इस नेक काम के लिए शहर और राज्य स्तर पर प्रमाण पत्र और सम्मान पुरस्कार भी मिल चुके हैं।दुनिया का पहला मिसाइलमैन टीपू सुल्तान

Interesting News inextlive from Interesting News Desk

Posted By: Shweta Mishra