तो इस मजाक से अप्रैल बन गया था 'फूल'
32 मार्च का बेसब्री से इंतजारइतिहास पर नजर डालें तो इसकी शुरुआत 1381 से हुई थी। उस समय इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी ने ऐलान किया था कि उनकी सगाई 32 मार्च 1381 को होगी। इसके बाद वहां की जनता ने तारीख पर ध्यान नहीं दिया और 32 मार्च का बेसब्री से इंतजार करने लगी। इसके बाद जब 31 मार्च की बाद लोगों को यह पता चला कि यह तारीख तो होगी ही नहीं। वे लोग तो बुद्धू बन गए हैं। ऐसे में बस तब से ही 31 मार्च के बाद 1 अप्रैल को अप्रैल फूल मनाया जाने लगा।
कुछ लोगों का मानना है कि पहले पूरी दुनिया में भारतीय कैलेंडर की मान्यता थी। इसी के हिसाब से पूरी दुनिया चलती थी और नया साल चैत्र मास में शुरू होता था। जो अधिकतर अप्रैल में ही होता था। इसके बाद एक बार 1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कैलेंडर लागू करने का ऐलान किया। जिसमें नया साल अप्रैल के बजाय जनवरी में शुरू होता है। ऐसे में कुछ लोगों ने जनवरी तो कुछ लोगों ने अप्रैल को नया साल माना। जिन लोगों ने अप्रैल को नया साल माना उन लोगों ने जनवरी वालों ने अप्रैल फूल मानना शुरू कर दिया थ। बस यहीं से 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे मनाया जाने लगा।
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