प्रधानमंत्री कार्यालय पीएमओ के आदेश के बाद फेक न्‍यूज पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने दिशानिर्देश वापस ले लिए हैं। पीएमओ ने अपने अदेश में कहा था कि फेक न्‍यूज जैसे मामलों पर फैसला का अधिकार प्रेस नियामकों पर छोड़ देना चाहिए। कांग्रेस ने इस फैसले को लोकतंत्र की जीत बताया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के 2 अप्रैल के फैसले के बाद से ही फेक न्‍यूज चर्चा का केंद्र बन गया है। आइए जानते हैं फेक न्‍यूज क्‍या होता है और हम इसे कैसे पहचान सकते हैं।


ताकि आप न हो जाएं किसी फेक न्यूज का शिकारकानपुर/नई दिल्ली। आजकल सोशल मीडिया के जरिए तमाम भ्रामक जानकारियां वायरल हो रही हैं, जो ज्यादातर गलत साबित होती हैं। आपके पास भी आती होंगी। किसी प्रोपोगेंडा के तहत ये जानकारियां इस ढंग से तैयार की जाती हैं कि पहली नजर में ही आप उस पर भरोसा कर लें। फैक्ट चेक वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोई भी व्यक्ति फेक न्यूज के बारे में थोड़ा प्रयास करके उसकी विश्वसनीयता की जांच कर सकता है।1- क्या है सूचना का स्रोत : जब भी कोई सूचना आपके पास आए तो यह जानने का प्रयास करें कि यह जानकारी कहां से आ रही है। यानी इसे किस अखबार, वेबसाइट, टीवी चैनल या संस्था ने जारी किया है।


2- सिर्फ हेडलाइन काफी नहीं : सिर्फ हेडलाइन पढ़कर सूचना का अंदाजा न लगाएं। हेडलाइन पढ़ने के बाद भी उस पूरी सूचना को ध्यान से पढ़कर समझें।3- लेखक की विश्वसनीयता : खबर किसने लिखी है या किसने दी है, उसकी विश्वसनीयता की पूरी जांच पड़ताल करें।4- सूचना किस हवाले से : हर सूचना किसी हवाले से दी जाती है। खबर जिस हवाले से दी गई है, उसके बारे में जरूर जानें।

5- प्रकाशन की तरीख देखें : यह जरूर देखें की यह सूचना कब प्रकाशित की गई है। क्योंकि कई बार समय बीतने और फैसला बदलने के साथ चीजें प्रचलन से बाहर हो जाती हैं।6- कहीं व्यंग्य तो नहीं : कई बार किसी व्यंग्य को ही खबर की तरह पेश किया जाता है। उसे पढ़कर समझने की कोशिश करें यह मजाक तो नहीं।7- खुद की निष्पक्षता जांचें : किसी भी सूचना से आपको ऐसा लगे कि आपका निर्णय प्रभावित हो रहा है या आपकी सोच बदल रही है तो उस पर ध्यान से सोचें।8- जानकारों की राय लें : ऊपर की सारी चीजें ठीक लगें तब भी आप एक्सपर्ट से उस सूचना के बारे में जरूर चर्चा करें।फेक न्यूज को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय बैकफुट परधानमंत्री कार्यालय से एक निर्देश जारी होने के बाद सूचना एवं प्रसारण (आईबी) मंत्रालय ने फेक न्यूज पर अपने दिशा निर्देश वापस ले लिए हैं। इससे पहले पत्र सूचना ब्यूरो (पीआईबबी) ने 2 अप्रैल, 2018 को 'गाइडलाइंस फॉर एक्रीडिशन ऑफ जर्नलिस्ट्स अमेंडेड टू रेग्युलेट फेक न्यूज' शीर्षक से एक विज्ञप्ति जारी किया था। मंत्रालय ने अपने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि इसे वापस ले लिया गया है।निंदा के बाद पीएमओ ने दिए मंत्रालय को आदेश

कई स्थानों से मंत्रालय के कदम की निंदा होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने आईबी मिनिस्ट्री को फेक न्यूज पर विज्ञप्ति वापस लेने का आदेश दिया था। पीएमओ ने कहा था कि फेक न्यूज को लेकर कोई भी फैसला प्रेस नियामकों के विवेक पर छोड़ देना चाहिए। सूत्रों के अनुसार पीएमओ नहीं चाहता कि सरकार ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करे।फेक न्यूज की जांच पीसीआई और एनबीए के जिम्मेसूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा था कि अगर किसी फेक न्यूज की शिकायत आती है तो उसकी जांच होगी। प्रिंट मीडिया से संबंधित फेक न्यूज की जांच प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबंधित फेक न्यूज की जांच न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) करेंगी। ये एजेंसियां ही तय करेंगी कि शिकायत वाली न्यूज फेक है या नहीं।गलती पर पत्रकार की मान्यता हमेशा के लिए रद
विज्ञप्ति में कहा गया था कि दोनों एजेंसियां 15 दिन में जांच पूरी करेंगी। जो पत्रकार फेक न्यूज के मामले में दोषी पाया जाएगा उसकी मान्यता स्थाई रूप से रद हो सकती है। अगर फेक न्यूज का मामला पहली बार है तो पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिए निलंबित की जाएगी। दूसरी बार ऐसा होने पर एक साल के लिए और अगर तीसरी बार ऐसा होता है तो उसकी मान्यता हमेशा के लिए रद कर दी जाएगी।(एजेंसी इनपुट के साथ)

Posted By: Satyendra Kumar Singh